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नीमच।राजस्थान के झालावाड़ से लहसुन लेकर नीमच मंडी पहुंचे किसान फोरु सिंह के साथ जो हुआ, उसने मंडी प्रशासन के उन तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है जिसमें वर्षों से आढ़त प्रथा को बंद बताया जाता रहा है। गुरुवार को मंडी में खुलेआम एक व्यापारी ने किसान को थप्पड़ जड़ दिया, वजह बनी आढ़त प्रथा को लेकर उपजा विवाद।जानकारी के अनुसार, किसान फोरु सिंह मंडी में महावीर ट्रेडर्स की आढ़त में अपनी उपज बेचने पहुंचे थे। उपज तौल और बिक्री की प्रक्रिया चल रही थी, इसी दौरान गायत्री ट्रेडर्स के संचालक राजू मंडी पहुंचे और जबरन लहसुन का माल अपनी आढ़त में बिकवाने का दबाव बनाने लगे। किसान ने विरोध किया तो व्यापारी बौखला गया और भरे मंडी परिसर में उसे थप्पड़ जड़ दिया।घटना के बाद मंडी परिसर में अफरा-तफरी मच गई। अन्य किसान भी मौके पर पहुंच गए और घटना का विरोध करते हुए हंगामा किया। सुरक्षाकर्मियों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया।किसान का आरोप है कि राजू नामक व्यापारी मंडी में वर्षों से आढ़त चलवा रहा है और छोटे किसानों पर दबाव बनाकर जबरदस्ती उपज अपनी आढ़त में बिकवाता है। इस घटना से एक बार फिर स्पष्ट हो गया कि कागजों में बंद की गई आढ़त प्रथा जमीन पर अब भी जीवित है और किसान आज भी मंडियों में शोषण झेलने को मजबूर हैं।मंडी निरीक्षक समीर दास ने सफाई देते हुए कहा कि “मंडी में आढ़त प्रथा पूरी तरह से बंद है। यह विवाद व्यापारियों के आपसी लेन-देन का था। शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”अब सवाल ये उठता है कि जब आढ़त प्रथा बंद है तो व्यापारी किस हैसियत से किसानों पर दबाव बना रहे हैं?नीमच कृषि उपज मंडी प्रदेश की सबसे बड़ी औषधीय एवं मसाला मंडी मानी जाती है। यहां सिर्फ मप्र ही नहीं, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक से व्यापारी और किसान लहसुन और अन्य मसालों की उपज लेकर आते हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं मंडी की साख पर सवाल खड़े कर रही हैं।किसान संगठनों ने मंडी प्रशासन से घटना की निष्पक्ष जांच और दोषी व्यापारी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, किसानों का कहना है कि यदि मंडी में खुलेआम किसानों को थप्पड़ मारे जाएंगे और व्यवस्था मौन रहेगी, तो यह मंडी नहीं बल्कि शोषण का मंच बनकर रह जाएगी।अब देखना होगा कि मंडी प्रशासन इस घटना को महज "व्यापारी विवाद" मानकर नजरअंदाज करता है या वास्तव में आढ़त प्रथा की जड़ों पर चोट करता है। फिलहाल, इस घटना ने फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई मंडी में किसानों को न्याय मिलता है, या फिर सिर्फ दावे किए जाते हैं।
आढ़त माफिया" पर सवाल उठाना पड़ा भारी! मंडी सचिव ने शिकायतकर्ता को ही भेजा नोटिस नीमच कृषि उपज मंडी में चल रही कथित आढ़त प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना अब आम आदमी के लिए खतरे से खाली नहीं! ग्राम रताड़िया के किसान राहुल मेघवाल ने जब तीन व्यापारियों के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन पर खुली आढ़त वसूली की शिकायत की — तो कार्रवाई की जगह उन्हें ही मंडी सचिव का नोटिस थमा दिया गया।राहुल ने विजय ट्रेडर्स, जे.पी.एम. इंटरप्राइजेज और बागोलीया एग्रो (एमएफसी) के खिलाफ मंडी में अवैध तरीके से आढ़त वसूलने की शिकायत 26 मई को दर्ज करवाई थी। आरोप था कि इन व्यापारियों द्वारा किसानों को उनकी उपज पर सीधे आढ़त दी जा रही है, जो मंडी नियमों का खुला उल्लंघन है।लेकिन, हैरानी की बात तो यह है कि मंडी सचिव उमेश बसेडिया ने अब राहुल मेघवाल को ही नोटिस भेजते हुए 13 जून को मंडी में हाजिर होने का फरमान सुना दिया। नोटिस में यहां तक लिखा है कि यदि वे समय पर नहीं पहुंचे तो उनके खिलाफ "मानहानि" का केस भी दायर किया जा सकता है। तो क्या अब शिकायत करना भी जुर्म है? सवाल बड़ा है — अगर मंडी में गड़बड़ है, तो कार्रवाई व्यापारियों पर होनी चाहिए या आवाज उठाने वाले किसान पर?सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला मंडी में वर्षों से जमी "आढ़त माफिया" की जड़ें उजागर करने वाला है। अब देखना यह होगा कि मंडी प्रशासन पारदर्शिता दिखाएगा या सिस्टम की चुप्पी एक और किसान की आवाज दबा देगी। |
नीमच।राजस्थान के झालावाड़ से लहसुन लेकर नीमच मंडी पहुंचे किसान फोरु सिंह के साथ जो हुआ, उसने मंडी प्रशासन के उन तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है जिसमें वर्षों से आढ़त प्रथा को बंद बताया जाता रहा है। गुरुवार को मंडी में खुलेआम एक व्यापारी ने किसान को थप्पड़ जड़ दिया, वजह बनी आढ़त प्रथा को लेकर उपजा विवाद।जानकारी के अनुसार, किसान फोरु सिंह मंडी में महावीर ट्रेडर्स की आढ़त में अपनी उपज बेचने पहुंचे थे। उपज तौल और बिक्री की प्रक्रिया चल रही थी, इसी दौरान गायत्री ट्रेडर्स के संचालक राजू मंडी पहुंचे और जबरन लहसुन का माल अपनी आढ़त में बिकवाने का दबाव बनाने लगे। किसान ने विरोध किया तो व्यापारी बौखला गया और भरे मंडी परिसर में उसे थप्पड़ जड़ दिया।घटना के बाद मंडी परिसर में अफरा-तफरी मच गई। अन्य किसान भी मौके पर पहुंच गए और घटना का विरोध करते हुए हंगामा किया। सुरक्षाकर्मियों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया।किसान का आरोप है कि राजू नामक व्यापारी मंडी में वर्षों से आढ़त चलवा रहा है और छोटे किसानों पर दबाव बनाकर जबरदस्ती उपज अपनी आढ़त में बिकवाता है। इस घटना से एक बार फिर स्पष्ट हो गया कि कागजों में बंद की गई आढ़त प्रथा जमीन पर अब भी जीवित है और किसान आज भी मंडियों में शोषण झेलने को मजबूर हैं।मंडी निरीक्षक समीर दास ने सफाई देते हुए कहा कि “मंडी में आढ़त प्रथा पूरी तरह से बंद है। यह विवाद व्यापारियों के आपसी लेन-देन का था। शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”अब सवाल ये उठता है कि जब आढ़त प्रथा बंद है तो व्यापारी किस हैसियत से किसानों पर दबाव बना रहे हैं?नीमच कृषि उपज मंडी प्रदेश की सबसे बड़ी औषधीय एवं मसाला मंडी मानी जाती है। यहां सिर्फ मप्र ही नहीं, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक से व्यापारी और किसान लहसुन और अन्य मसालों की उपज लेकर आते हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं मंडी की साख पर सवाल खड़े कर रही हैं।किसान संगठनों ने मंडी प्रशासन से घटना की निष्पक्ष जांच और दोषी व्यापारी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, किसानों का कहना है कि यदि मंडी में खुलेआम किसानों को थप्पड़ मारे जाएंगे और व्यवस्था मौन रहेगी, तो यह मंडी नहीं बल्कि शोषण का मंच बनकर रह जाएगी।अब देखना होगा कि मंडी प्रशासन इस घटना को महज "व्यापारी विवाद" मानकर नजरअंदाज करता है या वास्तव में आढ़त प्रथा की जड़ों पर चोट करता है। फिलहाल, इस घटना ने फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई मंडी में किसानों को न्याय मिलता है, या फिर सिर्फ दावे किए जाते हैं।
आढ़त माफिया" पर सवाल उठाना पड़ा भारी! मंडी सचिव ने शिकायतकर्ता को ही भेजा नोटिस
नीमच कृषि उपज मंडी में चल रही कथित आढ़त प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना अब आम आदमी के लिए खतरे से खाली नहीं! ग्राम रताड़िया के किसान राहुल मेघवाल ने जब तीन व्यापारियों के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन पर खुली आढ़त वसूली की शिकायत की — तो कार्रवाई की जगह उन्हें ही मंडी सचिव का नोटिस थमा दिया गया।राहुल ने विजय ट्रेडर्स, जे.पी.एम. इंटरप्राइजेज और बागोलीया एग्रो (एमएफसी) के खिलाफ मंडी में अवैध तरीके से आढ़त वसूलने की शिकायत 26 मई को दर्ज करवाई थी। आरोप था कि इन व्यापारियों द्वारा किसानों को उनकी उपज पर सीधे आढ़त दी जा रही है, जो मंडी नियमों का खुला उल्लंघन है।लेकिन, हैरानी की बात तो यह है कि मंडी सचिव उमेश बसेडिया ने अब राहुल मेघवाल को ही नोटिस भेजते हुए 13 जून को मंडी में हाजिर होने का फरमान सुना दिया। नोटिस में यहां तक लिखा है कि यदि वे समय पर नहीं पहुंचे तो उनके खिलाफ "मानहानि" का केस भी दायर किया जा सकता है।
तो क्या अब शिकायत करना भी जुर्म है?
सवाल बड़ा है — अगर मंडी में गड़बड़ है, तो कार्रवाई व्यापारियों पर होनी चाहिए या आवाज उठाने वाले किसान पर?सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला मंडी में वर्षों से जमी "आढ़त माफिया" की जड़ें उजागर करने वाला है। अब देखना यह होगा कि मंडी प्रशासन पारदर्शिता दिखाएगा या सिस्टम की चुप्पी एक और किसान की आवाज दबा देगी।
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |