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शायद आपको पता ने हो कि दुनियाभर में 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनेस्को की सिफारिश को अपनाने की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। यूनेस्को ने 5 अक्टूबर, 1994 को इस दिन को मनाने की घोषणा की थी। हर साल इस दिन एक अलग थीम होती है, जो शिक्षण पेशे में प्रमुख चुनौतियों या प्रगति पर प्रकाश डालती है। वैसे, हमारे देश भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वे एक महान दार्शनिक और विद्वान थे। उन्हें वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और 1963 में उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ़ मेरिट की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और वे एक विपुल लेखक भी थे। उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया। 1962 में जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो कुछ छात्रों ने उनसे अनुरोध किया कि वे अपना जन्मदिन 5 सितंबर को मनाएं। हालांकि, डॉ. राधाकृष्णन ने सुझाव दिया कि छात्र इस दिन को शिक्षकों को समर्पित करें। यह भारत में शिक्षक दिवस तब से ही 5 सितंबर को मनाया जाता है। कुल मिला कर विश्व शिक्षक दिवस यानी वर्ल्ड टीचर्स डे मनाने की शुरुआत से पहले ही भारत शिक्षक दिवस मनाता आ रहा है। इस तरह से भारत इस मामले में विश्व गुरु कहा जा सकता है कि उसने दुनिया से कहीं बहुत पहले शिक्षकों के महत्व को रेखांकित किया था। भारत में तो साल 1962 से ही शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। भारत के शिक्षक दिवस मनाते आने के कई साल बाद यूनेस्को ने अनुशंसा की थी कि इंटरनेशनल टीचर्ड डे कब होगा। बता दूं कि साल 1994 से दुनिया भर में विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन हम दुनिया भर के शिक्षकों की उपलब्धियों, योगदान और प्रयासों की पहचान करते हैं, उनकी सराहना करते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं। वास्तविकता है कि “शिक्षकों से ही शिक्षा में परिवर्तन शुरू होता है। आज के दिन शिक्षक दिवस को मनाने के लिए, भारत की ही तरह दुनिया भर के कई स्कूल शिक्षकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। कुछ नीति निर्माता और शिक्षा विशेषज्ञ दुनिया भर के शिक्षकों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं की पहचान करने के लिए सम्मेलनों और बैठकों का आयोजन भी करते हैं और इन मुद्दों के समाधान पर विचार-मंथन करने का प्रयास करते हैं। इस दिन का उपयोग गुणवत्ता वाले शिक्षकों के महत्व को उजागर करने और इस पेशे के भविष्य के उम्मीदवारों को मार्गदर्शन या प्रेरित करने के लिए भी किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति गुरु और शिष्य (शिक्षक और छात्र) के रिश्ते को बहुत महत्व देती है। यह दिन शिक्षकों की लगन और कड़ी मेहनत का भी सम्मान करता है। इस दिन को मनाने से जहां छात्रों को अपनी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर मिलता है, वहीं शिक्षकों को आत्मनिरीक्षण करने और छात्रों के लिए एक स्वस्थ और प्रेरक वातावरण बनाने का मौका मिलता है। वैसे भी, हम भारतीयों के लिए हर दिन गुरु के वंदन और अभिनंदन का दिन होता है। हमारे यहां लोक मान्यता है कि– गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः, गुरुर साक्षात परम ब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः अर्थात गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शंकर हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं'।
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शायद आपको पता ने हो कि दुनियाभर में 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनेस्को की सिफारिश को अपनाने की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। यूनेस्को ने 5 अक्टूबर, 1994 को इस दिन को मनाने की घोषणा की थी। हर साल इस दिन एक अलग थीम होती है, जो शिक्षण पेशे में प्रमुख चुनौतियों या प्रगति पर प्रकाश डालती है। वैसे, हमारे देश भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वे एक महान दार्शनिक और विद्वान थे। उन्हें वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और 1963 में उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ़ मेरिट की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और वे एक विपुल लेखक भी थे। उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया। 1962 में जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो कुछ छात्रों ने उनसे अनुरोध किया कि वे अपना जन्मदिन 5 सितंबर को मनाएं। हालांकि, डॉ. राधाकृष्णन ने सुझाव दिया कि छात्र इस दिन को शिक्षकों को समर्पित करें। यह भारत में शिक्षक दिवस तब से ही 5 सितंबर को मनाया जाता है। कुल मिला कर विश्व शिक्षक दिवस यानी वर्ल्ड टीचर्स डे मनाने की शुरुआत से पहले ही भारत शिक्षक दिवस मनाता आ रहा है। इस तरह से भारत इस मामले में विश्व गुरु कहा जा सकता है कि उसने दुनिया से कहीं बहुत पहले शिक्षकों के महत्व को रेखांकित किया था। भारत में तो साल 1962 से ही शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। भारत के शिक्षक दिवस मनाते आने के कई साल बाद यूनेस्को ने अनुशंसा की थी कि इंटरनेशनल टीचर्ड डे कब होगा। बता दूं कि साल 1994 से दुनिया भर में विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन हम दुनिया भर के शिक्षकों की उपलब्धियों, योगदान और प्रयासों की पहचान करते हैं, उनकी सराहना करते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं। वास्तविकता है कि “शिक्षकों से ही शिक्षा में परिवर्तन शुरू होता है। आज के दिन शिक्षक दिवस को मनाने के लिए, भारत की ही तरह दुनिया भर के कई स्कूल शिक्षकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। कुछ नीति निर्माता और शिक्षा विशेषज्ञ दुनिया भर के शिक्षकों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं की पहचान करने के लिए सम्मेलनों और बैठकों का आयोजन भी करते हैं और इन मुद्दों के समाधान पर विचार-मंथन करने का प्रयास करते हैं। इस दिन का उपयोग गुणवत्ता वाले शिक्षकों के महत्व को उजागर करने और इस पेशे के भविष्य के उम्मीदवारों को मार्गदर्शन या प्रेरित करने के लिए भी किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति गुरु और शिष्य (शिक्षक और छात्र) के रिश्ते को बहुत महत्व देती है। यह दिन शिक्षकों की लगन और कड़ी मेहनत का भी सम्मान करता है। इस दिन को मनाने से जहां छात्रों को अपनी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर मिलता है, वहीं शिक्षकों को आत्मनिरीक्षण करने और छात्रों के लिए एक स्वस्थ और प्रेरक वातावरण बनाने का मौका मिलता है। वैसे भी, हम भारतीयों के लिए हर दिन गुरु के वंदन और अभिनंदन का दिन होता है। हमारे यहां लोक मान्यता है कि–
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः,
गुरुर साक्षात परम ब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः
अर्थात गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शंकर हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं'।
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |