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बूझो तो जानें 'इस वाक्य को सुनते ही सबको अपना बचपन जरूर याद आ जाता होगा ।प्राथमिक स्तर के पुस्तकों में एक पाठ बूझो तो जानें वाला जरूर होता था।किसी बात को संकेत के रूप में कहना फिर उसके उत्तर के लिए जूझना कितना आनंद आता था। आप सब के लिए पहेलियाँ और उसके उत्तर प्रस्तुत है ।कोशिश करें स्वयम से उत्तर ढूंढने का यदि नही बन पाता है तो नीचे उत्तर दिया ही है। एक चले चिता के चाल, दूजा घोड़ा होय। कौन गली,कौन खेत पहाड़ी, खड़ा रहता हूँ सीना तान। साँप जैसे लम्बा हूँ भैया, दोनो तरफ हूँ चलता। बांध गले मे फांसी का फंदा, दबे हुए हैं मिट्टी के अंदर। |
बूझो तो जानें 'इस वाक्य को सुनते ही सबको अपना बचपन जरूर याद आ जाता होगा ।प्राथमिक स्तर के पुस्तकों में एक पाठ बूझो तो जानें वाला जरूर होता था।किसी बात को संकेत के रूप में कहना फिर उसके उत्तर के लिए जूझना कितना आनंद आता था।
आप सब के लिए पहेलियाँ और उसके उत्तर प्रस्तुत है ।कोशिश करें स्वयम से उत्तर ढूंढने का यदि नही बन पाता है तो नीचे उत्तर दिया ही है।
एक चले चिता के चाल, दूजा घोड़ा होय।
तीसर चले हाथी के चाल, फिर भी सामना होय,
कौन गली,कौन खेत पहाड़ी, खड़ा रहता हूँ सीना तान।
मेरे से है जग उजियारा, सब मौसम मेरा एक समान,
साँप जैसे लम्बा हूँ भैया, दोनो तरफ हूँ चलता।
एक ही पथ पर आता जाता,हरदम आगे बढ़ता,
बांध गले मे फांसी का फंदा, दबे हुए हैं मिट्टी के अंदर।
खाने को जब उसे उखाड़ो,मजे से लटक रहे हैं बन्दर,
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |