मौन हृदय की वेदना मेरी,ओ मुस्कान तू मौन ही रखना,
तुझ से जो संबंध है मेरा,अपने तक तू गौण ही रखना।
तू ही सुख दुःख का है साथी,हर पल मेरे साथ निभाना,
संकट में भी साथ न छोड़ा,छोड़ दिया जब सारा ज़माना।
अच्छे बुरे हर वक्त में मेरे, होठों पर आ,साथ निभाया,
जब जब होठों पर है भर ली,परिपूर्ण हैं ख़ुद को पाया।
सुख दुःख का साथी बनकर,अश्रु को पीना भी सिखाया,
ऊंची नीची पगडंडी पर,गिर-गिर कर चलना भी सिखाया।
जब जब तुझमें हुई समाहित, ख़ुदको है खूबसूरत पाया,
साधारण सी एक लड़की को,तूने असाधारण है बनाया।
ओ मेरे मौन मुस्कान सुनो! अब हमेशा तू मेरे साथ रहना,
लाख कष्ट जीवन में आए,तू अब सदा मेरे मुख पर रहना।
पूजा भूषण झा, वैशाली, बिहार।
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