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नीमच।जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में आराध्या वेलफेयर सोसाइटी की गतिविधियाँ विवादों में घिरी हुई हैं। संस्था द्वारा बेटियों को जन्म देने वाली माताओं का सम्मान किया जाता है, जिसमें नवजात को गोद में उठाकर फोटो खिंचवाने की परंपरा है। हालांकि, यह पहल समाज में बेटियों के प्रति सम्मान बढ़ाने का उद्देश्य रखती है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली और उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं। महिला वार्ड में पुरुषों का प्रवेश: सुरक्षा और सम्मान का उल्लंघन महिला वार्ड में पुरुषों का प्रवेश अस्पताल की सुरक्षा और गोपनीयता नीति का उल्लंघन करता है।नवजात शिशुओं के साथ महिलाओं की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा करना अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है। संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में पुरुषों का शामिल होना इस जिम्मेदारी को कमजोर करता है। कार्यक्रमों का समय और अस्पताल स्टाफ पर प्रभाव संस्था के कार्यक्रमों में एक से डेढ़ घंटे की प्रक्रिया होती है, जो अस्पताल स्टाफ के नियमित कार्यों को प्रभावित करती है। नवजात को इंजेक्शन लगाना, बोटल चढ़ाना और टिके लगाना जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में देरी होती है, जिससे शिशुओं की देखभाल में बाधा आती है। केवल सरकारी अस्पतालों का चयन: प्रचार का उद्देश्य? संस्था द्वारा केवल सरकारी अस्पतालों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जबकि निजी अस्पतालों में भी माताएं कन्या को जन्म देती हैं। यह चयन इस बात का संकेत देता है कि संस्था का उद्देश्य केवल अपना प्रचार-प्रसार करना है, न कि समाज सेवा। प्रशासन से अपेक्षाएँ: कार्रवाई की आवश्यकता जिला अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और आवश्यक कार्रवाई करे। महिला वार्ड में पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए,निजी संस्था के कार्यक्रम परिसर से बाहर आयोजित हो, कार्यक्रमों के समय का निर्धारण कर केवल एक या दो महिलाओं को ही प्रवेश अनुमति दी जाए और अस्पताल स्टाफ के कार्यों में कोई विघ्न न आए, यह सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, संस्था की गतिविधियों की पारदर्शिता और उद्देश्य की समीक्षा की जाए। इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता और संस्था की मनमानी पर गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अस्पताल की छवि और नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। |
नीमच।जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में आराध्या वेलफेयर सोसाइटी की गतिविधियाँ विवादों में घिरी हुई हैं। संस्था द्वारा बेटियों को जन्म देने वाली माताओं का सम्मान किया जाता है, जिसमें नवजात को गोद में उठाकर फोटो खिंचवाने की परंपरा है। हालांकि, यह पहल समाज में बेटियों के प्रति सम्मान बढ़ाने का उद्देश्य रखती है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली और उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं।
महिला वार्ड में पुरुषों का प्रवेश: सुरक्षा और सम्मान का उल्लंघन
महिला वार्ड में पुरुषों का प्रवेश अस्पताल की सुरक्षा और गोपनीयता नीति का उल्लंघन करता है।नवजात शिशुओं के साथ महिलाओं की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा करना अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है। संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में पुरुषों का शामिल होना इस जिम्मेदारी को कमजोर करता है।
कार्यक्रमों का समय और अस्पताल स्टाफ पर प्रभाव
संस्था के कार्यक्रमों में एक से डेढ़ घंटे की प्रक्रिया होती है, जो अस्पताल स्टाफ के नियमित कार्यों को प्रभावित करती है। नवजात को इंजेक्शन लगाना, बोटल चढ़ाना और टिके लगाना जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में देरी होती है, जिससे शिशुओं की देखभाल में बाधा आती है।
केवल सरकारी अस्पतालों का चयन: प्रचार का उद्देश्य?
संस्था द्वारा केवल सरकारी अस्पतालों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जबकि निजी अस्पतालों में भी माताएं कन्या को जन्म देती हैं। यह चयन इस बात का संकेत देता है कि संस्था का उद्देश्य केवल अपना प्रचार-प्रसार करना है, न कि समाज सेवा।
प्रशासन से अपेक्षाएँ: कार्रवाई की आवश्यकता
जिला अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और आवश्यक कार्रवाई करे। महिला वार्ड में पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए,निजी संस्था के कार्यक्रम परिसर से बाहर आयोजित हो, कार्यक्रमों के समय का निर्धारण कर केवल एक या दो महिलाओं को ही प्रवेश अनुमति दी जाए और अस्पताल स्टाफ के कार्यों में कोई विघ्न न आए, यह सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, संस्था की गतिविधियों की पारदर्शिता और उद्देश्य की समीक्षा की जाए।
इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता और संस्था की मनमानी पर गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अस्पताल की छवि और नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है।
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |