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नीमच। वर्षा काल के दौरान सांप निकलने की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं। ऐसे में नागरिकों को सतर्क रहने और सर्पदंश से बचाव के उपाय अपनाने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे बारिश के मौसम में विशेष सावधानी बरतें। सांप आमतौर पर गीली जगहों, झाड़ियों, लकड़ी के ढेर, कूड़े और नालियों के पास छिपते हैं। ऐसे स्थानों पर जाने से पहले ध्यान रखें। बाहर सोने की स्थिति में मच्छरदानी का उपयोग करें। यदि पहाड़ी या खेतों की ओर जाते हैं तो लंबा जूता पहनें और टॉर्च साथ रखें। सर्पदंश के लक्षणों में काटे गए स्थान पर सूजन, दर्द, उल्टी, चक्कर, कमजोरी, आंखें खुलने में परेशानी और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। यदि किसी को सांप काट ले तो घबराएं नहीं। घायल को आराम दें, काटे गए अंग को हृदय से नीचे रखें और कम हिलाएं। जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचें। सांप की पहचान करने की कोशिश करें, लेकिन उसे पकड़ें या मारें नहीं। सर्पदंश के बाद घाव को काटना, चूसना, बर्फ लगाना या देसी इलाज करना खतरनाक हो सकता है। अल्कोहल या कैफीन का सेवन भी विष के फैलाव को बढ़ा सकता है। सावधानी और समय पर इलाज से सर्पदंश की घटनाओं से बचा जा सकता है। लोग स्वयं जागरूक रहें और अपने आसपास के लोगों को भी सतर्क करें। |
नीमच। वर्षा काल के दौरान सांप निकलने की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं। ऐसे में नागरिकों को सतर्क रहने और सर्पदंश से बचाव के उपाय अपनाने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे बारिश के मौसम में विशेष सावधानी बरतें।
सांप आमतौर पर गीली जगहों, झाड़ियों, लकड़ी के ढेर, कूड़े और नालियों के पास छिपते हैं। ऐसे स्थानों पर जाने से पहले ध्यान रखें। बाहर सोने की स्थिति में मच्छरदानी का उपयोग करें। यदि पहाड़ी या खेतों की ओर जाते हैं तो लंबा जूता पहनें और टॉर्च साथ रखें।
सर्पदंश के लक्षणों में काटे गए स्थान पर सूजन, दर्द, उल्टी, चक्कर, कमजोरी, आंखें खुलने में परेशानी और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
यदि किसी को सांप काट ले तो घबराएं नहीं। घायल को आराम दें, काटे गए अंग को हृदय से नीचे रखें और कम हिलाएं। जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचें। सांप की पहचान करने की कोशिश करें, लेकिन उसे पकड़ें या मारें नहीं।
सर्पदंश के बाद घाव को काटना, चूसना, बर्फ लगाना या देसी इलाज करना खतरनाक हो सकता है। अल्कोहल या कैफीन का सेवन भी विष के फैलाव को बढ़ा सकता है।
सावधानी और समय पर इलाज से सर्पदंश की घटनाओं से बचा जा सकता है। लोग स्वयं जागरूक रहें और अपने आसपास के लोगों को भी सतर्क करें।
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |