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मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को नगरवासियों ने भैरवाष्टमी के रूप में मनाते हुए बाबा काल भैरव का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। भैरवाष्टमी के मौके पर शनिवार को नगर के काल भैरव मठ के बटुक भैरव मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रही। काल भैरव मित्र मंडल के तत्वावधान में महाभैरवाष्टमी के पावन अवसर पर रामपुरा नगर के काल भैरव मठ स्थित बटुक भैरव मंदिर में विधिवत पूजन अर्चन के साथ सैकड़ों भैरव भक्तों ने बाबा काल भैरव के सन्मुख संकल्प के साथ सुबह बाबा बटुक भैरव को दूध एव जल से स्नान करवाकर अभिषेक पूजन कर बाबा को चोला समर्पित किया गया वही मंदिर को भव्य विद्युत सज्जा एवं फूलों से श्रृंगारित किया गया सायकाल बाबा काल भैरव की महा आरती कर भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया भैरवाष्टमी को लेकर मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 23 नवंबर शनिवार को मनाया गया है। काल भैरव को क्षेत्र का क्षेत्रपाल एवं नगर का कोतवाल भी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि रामपुरा में रहने वाले हर व्यक्ति को यहां पर रहने के लिए बाबा काल भैरव की आज्ञा लेनी पड़ती है। मान्यता है कि भगवान शिव ने ही इनकी नियुक्ति यहां की थी। भगवान काल भैरव के मंदिर के पास भगवान काशी विश्वनाथ भी विराजमान है |
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को नगरवासियों ने भैरवाष्टमी के रूप में मनाते हुए बाबा काल भैरव का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। भैरवाष्टमी के मौके पर शनिवार को नगर के काल भैरव मठ के बटुक भैरव मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रही।
काल भैरव मित्र मंडल के तत्वावधान में महाभैरवाष्टमी के पावन अवसर पर रामपुरा नगर के काल भैरव मठ स्थित बटुक भैरव मंदिर में विधिवत पूजन अर्चन के साथ सैकड़ों भैरव भक्तों ने बाबा काल भैरव के सन्मुख संकल्प के साथ सुबह बाबा बटुक भैरव को दूध एव जल से स्नान करवाकर अभिषेक पूजन कर बाबा को चोला समर्पित किया गया वही मंदिर को भव्य विद्युत सज्जा एवं फूलों से श्रृंगारित किया गया सायकाल बाबा काल भैरव की महा आरती कर भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया
भैरवाष्टमी को लेकर मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 23 नवंबर शनिवार को मनाया गया है। काल भैरव को क्षेत्र का क्षेत्रपाल एवं नगर का कोतवाल भी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि रामपुरा में रहने वाले हर व्यक्ति को यहां पर रहने के लिए बाबा काल भैरव की आज्ञा लेनी पड़ती है। मान्यता है कि भगवान शिव ने ही इनकी नियुक्ति यहां की थी। भगवान काल भैरव के मंदिर के पास भगवान काशी विश्वनाथ भी विराजमान है
लोकमान्यता है कि
ब्रह्माजी का कटा हुआ शीष काल भैरव के हाथ में चिपक गया था। ऐसे में काल भैरव को ब्रह्म हत्या से मुक्ति दिलाने के लिए शिव शंकर ने उन्हें प्रायश्चित करने के लिए कहा। शिव जी ने बताया कि वो त्रिलोक में भ्रमण करें और जब ब्रह्रमा जी का कटा हुआ सिर हाथ से गिर जाएगा उसी समय से उनके ऊपर से ब्रह्म हत्या का पाप हट जाएगा। फिर जब वो काशी पहुंचे तब उनके हाथ से ब्रह्मा जी का सिर छूट गया। इसके बाद काल भैरव काशी में ही स्थापित हो गए और शहर के कोतवाल कहलाए। रामपुरा नगर में भी अनेकों मंदिर हैं एवं मंदिरों की दृष्टि से रामपुरा को छोटी काशी कहा जाता है रामपुरा नगर स्थित काल भैरव का मंदिर अति प्राचीन होकर दिव्य अलौकिक मंदिर है जहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |