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तिलहन की फसल को राज्य में 'पीला सोना' माना जाता है. मोटे अनुमान के मुताबिक, देश का लगभग आधा सोयाबीन मध्य प्रदेश में पैदा होता है. एसकेएम में शामिल कुछ किसान संगठनों ने भी गिरती कीमतों को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है और आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और 6,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच कीमतें तय करनी चाहिए.
भारतीय किसान-नौजवान संघ के मध्य प्रदेश प्रभारी जसदेव सिंह ने कहा, किसानों को आज वही कीमत मिल रही है जो उन्हें 10 साल पहले मिल रही थी. पिछले एक दशक में खेती की लागत कई गुना बढ़ गई है. भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि गिरती कीमतों के कारण किसानों की फसल में रुचि कम हो रही है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश 'सोयाबीन राज्य' का खिताब खो सकता है क्योंकि फसल एमएसपी से नीचे बिक रही है और किसान अब दूसरी फसलों की ओर रुख करने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि अगले एक महीने में बाजारों में सोयाबीन की नई फसल आने के बाद कीमतें और भी कम हो सकती हैं. पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में एसकेएम के संयोजक राम स्वरूप मंत्री ने बताया कि सोयाबीन तेल की कीमत बढ़ रही है, लेकिन फसल की कीमत घट रही है. एसकेएम नेता ने दावा किया कि यह विरोधाभास सरकार की गलत नीतियों और व्यापारियों की अनियंत्रित मुनाफाखोरी के कारण है. उन्होंने मांग की कि सरकार विदेशों से पाम ऑयल के 'बड़े पैमाने पर आयात' को रोके, ताकि घरेलू किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके. |
मध्य प्रदेश के किसान संगठनों ने सोयाबीन की फसल को लेकर केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है. किसानों का दावा है कि राज्य में सोयाबीन की कीमतें दस साल के निचले स्तर पर आ गई हैं.
किसान संगठनों के गठबंधन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो मध्य प्रदेश 'सोयाबीन राज्य' का खिताब खो सकता है. कुछ किसान नेताओं ने दावा किया कि पिछले अगस्त में 4 हजार 450 से 4 हजार 725 रुपये प्रति क्विंटल से कीमतें गिरकर 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं.
तिलहन की फसल को राज्य में 'पीला सोना' माना जाता है. मोटे अनुमान के मुताबिक, देश का लगभग आधा सोयाबीन मध्य प्रदेश में पैदा होता है. एसकेएम में शामिल कुछ किसान संगठनों ने भी गिरती कीमतों को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है और आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और 6,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच कीमतें तय करनी चाहिए.
केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पिछले सत्र के 4,600 रुपये प्रति क्विंटल से 292 रुपये बढ़ाकर 4,892 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है.
भारतीय किसान-नौजवान संघ के मध्य प्रदेश प्रभारी जसदेव सिंह ने कहा, किसानों को आज वही कीमत मिल रही है जो उन्हें 10 साल पहले मिल रही थी. पिछले एक दशक में खेती की लागत कई गुना बढ़ गई है.
भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि गिरती कीमतों के कारण किसानों की फसल में रुचि कम हो रही है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश 'सोयाबीन राज्य' का खिताब खो सकता है क्योंकि फसल एमएसपी से नीचे बिक रही है और किसान अब दूसरी फसलों की ओर रुख करने को मजबूर हैं.
उन्होंने कहा कि अगले एक महीने में बाजारों में सोयाबीन की नई फसल आने के बाद कीमतें और भी कम हो सकती हैं. पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में एसकेएम के संयोजक राम स्वरूप मंत्री ने बताया कि सोयाबीन तेल की कीमत बढ़ रही है, लेकिन फसल की कीमत घट रही है.
एसकेएम नेता ने दावा किया कि यह विरोधाभास सरकार की गलत नीतियों और व्यापारियों की अनियंत्रित मुनाफाखोरी के कारण है. उन्होंने मांग की कि सरकार विदेशों से पाम ऑयल के 'बड़े पैमाने पर आयात' को रोके, ताकि घरेलू किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके.
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |