|
|
भोपाल। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे लाने का प्रयास प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। उनकी शिक्षा से लेकर शादी और जनप्रतिनिधि तक में बराबरी की भागीदारी तय करने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अब इसी कड़ी में उन्हें उद्योगपति बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। इसके तहत अब प्रदेश में महिला उद्यमियों को सशक्त करने और आगे बढ़ाने के लिए उनके लिए विशेष आरक्षित औद्योगिक क्षेत्र बनाने की योजना तैयार की गई है। इस क्षेत्र में सिर्फ महिला उद्यमी ही अपने उद्योग स्थापित कर सकेंगी। इसके साथ ही उद्योग लगाने पर विशेष सुविधाएं भी दी जाएंगी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग द्वारा इसके लिए काम शुरु कर दिया गया है। अब इस क्षेत्र के लिए जगह की तलाश की जा रही है। माना जा रहा है कि इसकी घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा महिला उद्यमियों के सम्मेलन में की जा सकती है। अफसरों की माने तो इसके लिए जिन स्थानों पर विचार किया जा रहा है उसमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर और देवास जिला शामिल है। इनमें से कहीं भी महिला उद्यमी पार्क बनाया जा सकता है।
अधिकारियों के अनुसार एमएसएमई उद्यमों के लिए विभाग के पास 1500 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है। यहां लैंड प्रीमियम पर 90 प्रतिशत तक छूट दी जा रही है। जमीन आवंटन से लेकर इन्सेंटिव और अन्य लाभ लेने के लिए पूरी प्रक्रिया विभाग ने ऑनलाइन की है। इससे छोटे उद्यम करने वाली महिलाओं को इससे बहुत फायदा होगा।
रोजगार का बड़ा माध्यम बन सकता है एमएसएमई: कम लागत और बड़ा काम। यही वो तरीका है जो अर्थव्यवस्था को गति देकर मध्य प्रदेश की तस्वीर बदल सकता है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का विस्तार सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम बन सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार इसे प्राथमिकता में ले और वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराए जो छोटे उद्योगों के लिए वातावरण बनाने का काम करें। सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। 194 औद्योगिक क्षेत्र केवल एमएसएमई के लिए बनाए गए हैं और प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर में क्लस्टर बनाए गए हैं। सरकार के अनुसार तीन लाख 54 हजार एमएसएमई इकाइयों को पंजीकृत किया है। इनमें 18.33 लाख नौकरियां उत्पन्न करने की क्षमता है। इसके साथ-साथ ग्रामीण कुटीर उद्योग पर भी फोकस करना होगा। स्थानीय स्तर पर इसको लेकर काफी संभावनाएं भी हैं।
अभी 31 औद्योगिक विकास केंद्र स्थापित
प्रदेश के 7 जिलों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा और जबलपुर, उज्जैन, सागर को विकसित जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। राज्य में 25 विकासशील जिले हैं। मप्र सरकार द्वारा 31 औद्योगिक विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में 10 साल में 30 लाख 13 हजार 41.607 करोड़ रुपये के 13 हजार 388 निवेश प्रस्ताव आए। इनमें तीन लाख 47 हजार 891 करोड़ रुपये के 762 पूंजी निवेश हुए हैं। इन पूंजी निवेश से प्रदेश में दो लाख सात हजार 49 बेरोजगार को रोजगार मिला है। इसी तरह वर्ष 2007 से अक्टूबर 2016 तक आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन पर 50.84 करोड़ रुपये व्यय किए गए और 366 औद्योगिक इकाइयों को 1224 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी गई। अधिकारियों के अनुसार एमएसएमई उद्यमों के लिए विभाग के पास 1500 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है। यहां लैंड प्रीमियम पर 90 प्रतिशत तक छूट दी जा रही है। जमीन आवंटन से लेकर इन्सेंटिव और अन्य लाभ लेने के लिए पूरी प्रक्रिया विभाग ने ऑनलाइन की है। इससे छोटे उद्यम करने वाली महिलाओं को इससे बहुत फायदा होगा।
महिला उद्यमियों को मिलेगी यह सुविधाएं
महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए जो सुविधाएं दी जाएंगी, उसमें प्लांट, मशीनरी और भवन निर्माण पर 40 प्रतिशत तक सब्सिडी, पेटेंट कराने के लिए 5 लाख तक की सहायता, क्वालिटी सर्टिफिकेशन, एनर्जी ऑडिट आदि की फीस में छूट। अधोसंरचना विकास में 3 करोड़ तक की सहायता, ईटीपी आदि बनाने में 1 करोड़ तक की सहायता
प्रदेश में एमएसएमई की स्थिति
– 42942 करोड़: कुल निवेश
– 639045 करोड़: टर्नओवर
– 2.3 लाख: मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं मध्यप्रदेश में
– 1.5 लाख: सर्विस यूनिट
– 2.2 लाख: ट्रेडिंग यूनिट
– 1500 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |