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नीमच, निप्र। गर्मी के साथ क्षेत्र में जल संकट भी बढ़ रहा है। इसको लेकर कलेक्टर ने नीमच जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित किया है, साथ ही नलकूप खनन पर रोक लगाई है, लेकिन शहर में देखा जा रहा है कि तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर वाहनों की धुलाई में पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। खास बात यह कि वाहन धुलाई सेंटरों में से अधिकांश पर बिजली की भी चोरी हो रही है। गर्मी चरम पर है, पेयजल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। कलेक्टर दिनेश जैन ने गर्मी के दौरान पैदा होने वाले पेयजल संकट को देखते हुए पानी के दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन नगर पालिका ने इस आदेश के पालन में कोई पहल नहीं की है। कस्बे में एक दर्जन से अधिक वाहन धुलाई सर्विस सेंटर पर रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है।
जिम्मेदारों को शिकायत का इंतजार उल्लेखनीय है कि जल संरक्षण को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार लगातार अभियान चला कर पानी की महत्वता बताते हुए आमजन को जागरूक कर रही है। लेकिन इसके बाद भी शहर हो या फिर जिले के अन्य हिस्से जिम्मेदार विभाग और प्रशासन पानी हो रही बर्बादी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिकारी एक बात अवश्य कहते हैं, शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे। जिम्मेदार विभाग और अधिकारी बिना शिकायत के कदम नहीं उठाएंगे, चाहे कितना भी पानी बर्बाद करें।
जल के साथ बिजली की भी बेकद्री जिम्मेदारों की कार्यशैली से नीमच शहर में कीमती जल की बेकद्री हो रही है। इसी का नतीजा है कि जिला मुख्यालय पर विभिन्न स्थानों में अवैध रूप से संचालित किए जा रहे वाहन धुलाई सेंटरों में प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी वाहन धोने पर ही बर्बाद हो रहा है। धुलाई के नाम पर खुलेआम सैकड़ों लीटर पानी सडक़ों और नालियों में यूं ही बहाया जाता है। यही नहीं इन सेंटरों पर धुलाई के लिए लगाए गए प्रेशर पंप और बोरवेल में लगाई गई मोटरें भी अवैध रुप से चलाई जा रही है।
पीने योग्य पानी की हो रही बर्बादी शहर व कस्बों में चल रहे दोपहिया और चार पहिया वाहनों के सर्विस और धुलाई सेंटर पर प्रतिदिन पीने योग्य भू-जल का दुरुपयोग वाहन धुलाई में हो रहा है। हैरानी की बात ये है कि पानी की बड़ी बर्बादी पर कहीं कोई चिंता और चर्चा सुनाई नहीं देती है। बिना किसी रोक-टोक के धड़ल्ले से वाहन धुलाई सेंटरों की गिनती बढ़ती जा रही है। इन धुलाई सेंटरों में 50 से 300 रुपए में गाड़ी धोने के नाम पर सैकड़ों लीटर पीने का मीठा पानी बर्बाद किया जा रहा है। अहम मसले पर स्थानीय प्रशासन से लेकर पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चुप्पी भी हैरान करती है।
जल संरक्षण पर नहीं दे रहे ध्यान जल संरक्षण के लिए नगर पालिका और शासन लाखों रुपए खर्च कर प्रचार-प्रसार करती है। लेकिन उसके बाद जल की इस बड़ी बर्बादी की ओर अभी तक नहीं गया। यह बात भी दीगर है कि सर्विस सेंटरों व धुलाई सेंटरों में वाहन धुलाई के नाम पर जल की बर्बादी को रोकने के लिए कोई नियम या कानून नहीं बना है। सरकारी अमले की सुस्ती, लापरवाही और कानून के प्रभावी न होने के कारण हर दिन शहरभर में दो दर्जन से अधिक सर्विस व धुलाई सेंटर और आम आदमी बड़ी बेरहमी से मीठे पानी को वाहन धोने में बर्बाद कर रहे हैं।
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नीमच, निप्र। गर्मी के साथ क्षेत्र में जल संकट भी बढ़ रहा है। इसको लेकर कलेक्टर ने नीमच जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित किया है, साथ ही नलकूप खनन पर रोक लगाई है, लेकिन शहर में देखा जा रहा है कि तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर वाहनों की धुलाई में पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। खास बात यह कि वाहन धुलाई सेंटरों में से अधिकांश पर बिजली की भी चोरी हो रही है।
गर्मी चरम पर है, पेयजल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। कलेक्टर दिनेश जैन ने गर्मी के दौरान पैदा होने वाले पेयजल संकट को देखते हुए पानी के दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन नगर पालिका ने इस आदेश के पालन में कोई पहल नहीं की है। कस्बे में एक दर्जन से अधिक वाहन धुलाई सर्विस सेंटर पर रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है।
जिम्मेदारों को शिकायत का इंतजार
उल्लेखनीय है कि जल संरक्षण को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार लगातार अभियान चला कर पानी की महत्वता बताते हुए आमजन को जागरूक कर रही है। लेकिन इसके बाद भी शहर हो या फिर जिले के अन्य हिस्से जिम्मेदार विभाग और प्रशासन पानी हो रही बर्बादी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिकारी एक बात अवश्य कहते हैं, शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे। जिम्मेदार विभाग और अधिकारी बिना शिकायत के कदम नहीं उठाएंगे, चाहे कितना भी पानी बर्बाद करें।
जल के साथ बिजली की भी बेकद्री
जिम्मेदारों की कार्यशैली से नीमच शहर में कीमती जल की बेकद्री हो रही है। इसी का नतीजा है कि जिला मुख्यालय पर विभिन्न स्थानों में अवैध रूप से संचालित किए जा रहे वाहन धुलाई सेंटरों में प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी वाहन धोने पर ही बर्बाद हो रहा है। धुलाई के नाम पर खुलेआम सैकड़ों लीटर पानी सडक़ों और नालियों में यूं ही बहाया जाता है। यही नहीं इन सेंटरों पर धुलाई के लिए लगाए गए प्रेशर पंप और बोरवेल में लगाई गई मोटरें भी अवैध रुप से चलाई जा रही है।
पीने योग्य पानी की हो रही बर्बादी
शहर व कस्बों में चल रहे दोपहिया और चार पहिया वाहनों के सर्विस और धुलाई सेंटर पर प्रतिदिन पीने योग्य भू-जल का दुरुपयोग वाहन धुलाई में हो रहा है। हैरानी की बात ये है कि पानी की बड़ी बर्बादी पर कहीं कोई चिंता और चर्चा सुनाई नहीं देती है। बिना किसी रोक-टोक के धड़ल्ले से वाहन धुलाई सेंटरों की गिनती बढ़ती जा रही है। इन धुलाई सेंटरों में 50 से 300 रुपए में गाड़ी धोने के नाम पर सैकड़ों लीटर पीने का मीठा पानी बर्बाद किया जा रहा है। अहम मसले पर स्थानीय प्रशासन से लेकर पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चुप्पी भी हैरान करती है।
जल संरक्षण पर नहीं दे रहे ध्यान
जल संरक्षण के लिए नगर पालिका और शासन लाखों रुपए खर्च कर प्रचार-प्रसार करती है। लेकिन उसके बाद जल की इस बड़ी बर्बादी की ओर अभी तक नहीं गया। यह बात भी दीगर है कि सर्विस सेंटरों व धुलाई सेंटरों में वाहन धुलाई के नाम पर जल की बर्बादी को रोकने के लिए कोई नियम या कानून नहीं बना है। सरकारी अमले की सुस्ती, लापरवाही और कानून के प्रभावी न होने के कारण हर दिन शहरभर में दो दर्जन से अधिक सर्विस व धुलाई सेंटर और आम आदमी बड़ी बेरहमी से मीठे पानी को वाहन धोने में बर्बाद कर रहे हैं।