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कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समाज को पुलिस की जरूरत होती है, लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान की पुलिस इन दिनों कर्तव्य से पूरी तरह से भटक गई है। भ्रष्ट पुलिस और मादक पदार्थों तस्करों के गठजोड़ से क्षेत्र में अपराध बढ़ रहे हैं। जिन हाथों में समाज की सुरक्षा और कानून का जिम्मा है, वे चंद रुपयों की खातिर कर्तव्य से विमुख हो रहे हैं। नया मामला मनासा पुलिस थाना अंतर्गत कंजार्डा चौकी और राजस्थान की मंगलवाड़ पुलिस का इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है। कहा जा रहा कि राजस्थान पुलिस ने 76 किलो ग्राम अवैध अफीम पकड़ी। इस मामले में कंजार्डा पुलिस ने पकड़ी गई अफीम की मात्रा कम करने और सह आरोपियों के नाम नहीं जोड़ने की एवज में 17 लाख रुपयों में तोड़ बट्टा करवाया! बताया तो यह भी जा रहा है कि मंगलवाड़ की पुलिस कंजार्डा क्षेत्र में नीलेश धाकड़ एवं उसके साथियों-सहयोगियों को पकड़ने के लिए आई तो ग्रामीणों के विरोध के चलते पुलिस को उलटे पांव भागना पड़ा! दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि तस्कर के वाहन की सुरक्षित निकासी के नाम पर कंजार्डा चौकी प्रभारी द्वारा 30 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से वसूली की जाती थी। मामले में सच्चाई कितनी है, यह जांच का विषय है। लेकिन ऐसे ही एक दूसरे मामले ने पुलिस और तस्करों की साठगांठ का पर्दाफाश कर दिया है। जिसमें सिंगोली निवासी शांतिलाल मेहर ने मंगलवार को जहर खा लिया। उसने राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में इलाज के दौरान दम तोड़ दिखा। खास बात यह कि शांतिलाल ने जहर खाने से पहले एक सुसाड नोट लिखा। सुसाइड नोट में शांतिलाल ने भीलवाड़ा पुलिस से डील करने के लिए 17.50 लाख रुपए खर्च करने की बात लिखी है। डील में महावीर दास नाम के व्यक्ति को बिचौलिया दर्शाया गया है। भीलवाड़ा सदर के सीआई के जरिए शांतिलाल एक जब्त कार छुड़ाना चाहता था। वह कार शांतिलाल के चचेरे भाई की थी। रुपये भी चाचा और उसके परिवार ने शांतिलाल को कार छुड़ाने के लिए दिया था। सुसाइड नोट में कई पुलिसकर्मियों को पैसा देने की बात भी लिखी गई है। कार जब नहीं छोड़ी गई तो शांतिलाल को चाचा का परिवार तंग करने लगा। इससे परेशान होकर उसने जहर खा लिया और उसकी मौत हो गई। यहां बताना जरूरी है कि शांतिलाल का चचेरा भाई बाबूलाल मेहर साल 2022 में डोडा-चूरा तस्करों का वाहन एस्कॉर्ट कर रहा था। भीलवाड़ा पुलिस ने तस्करों को पकड़ लिया था। बाबूलाल उसकी ऑल्टो कार मौके पर छोड़ भागा था। कार को भीलवाड़ा पुलिस ने जब्त कर लिया था। कार छुड़ाने के लिए शांतिलाल के चाचा हीरालाल के परिवार ने उसे 15.50 लाख रुपए पुलिस से डील करने के लिए दिए थे। शांतिलाल ने भीलवाड़ा सदर के सीआई तक रुपए पहुंचाने के लिए अन्य पुलिसकर्मियों को दे दिए। ये दोनों मामले अभी चर्चा में हैं, लेकिन पुलिस की साठगांठ के ये पहले मामले नहीं हैं, इसके पहले भी क्षेत्र में पुलिस और तस्करों की साठगांठ के अनेक किस्से सामने आ चुके हैं। कुल मिला कर बागड़ ही खेत को खा रही है। कानून की रक्षा का जिन हाथों में जिम्मा है, वे वर्दीधारी ही तस्करों की रक्षा और सुरक्षा अकूत धन हासिल करने की हवस में कर रहे हैं, ऐसे में कभी समतामूलक कानून-व्यवस्था स्थापित नहीं हो सकती है। वहीं इससे लोगों का पुलिस और कानून व्यवस्था पर से भरोसा कमजोर होता जा रहा है। इस लिए पुलिस और तस्करों की साठगांठ और तस्करों से तोड़ बट्टा करने वालों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। कानून की रक्षा करने वाले हाथ यदि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों से गठजोड़ कर रहे हैं तो निश्चित रुप से अपराध और आपराधिक गतिविधियों में इजाफा होगा। जो कतई समाज हित में नहीं है। तस्करों से मिलीभगत की बात सामने आने के बाद अब नीमच और चित्तोड़गढ़ दोनों जिलों के पुलिस अधीक्षक, दोनों क्षेत्रों के जन प्रतिनिधि और राज्य सरकारों का दायित्व बना है कि वर्दी को दागदार करने वाले ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। इसके साथ ही गंभीर अपराधों के मामले में पुलिस की साठगांठ पाए जाने पर कठोर कार्रवाई के लिए अतिरिक्त कानूनी प्रावधान करने की जरूरत भी ऐसे समय में महसूस हो रही है।
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कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समाज को पुलिस की जरूरत होती है, लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान की पुलिस इन दिनों कर्तव्य से पूरी तरह से भटक गई है। भ्रष्ट पुलिस और मादक पदार्थों तस्करों के गठजोड़ से क्षेत्र में अपराध बढ़ रहे हैं। जिन हाथों में समाज की सुरक्षा और कानून का जिम्मा है, वे चंद रुपयों की खातिर कर्तव्य से विमुख हो रहे हैं। नया मामला मनासा पुलिस थाना अंतर्गत कंजार्डा चौकी और राजस्थान की मंगलवाड़ पुलिस का इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है। कहा जा रहा कि राजस्थान पुलिस ने 76 किलो ग्राम अवैध अफीम पकड़ी। इस मामले में कंजार्डा पुलिस ने पकड़ी गई अफीम की मात्रा कम करने और सह आरोपियों के नाम नहीं जोड़ने की एवज में 17 लाख रुपयों में तोड़ बट्टा करवाया! बताया तो यह भी जा रहा है कि मंगलवाड़ की पुलिस कंजार्डा क्षेत्र में नीलेश धाकड़ एवं उसके साथियों-सहयोगियों को पकड़ने के लिए आई तो ग्रामीणों के विरोध के चलते पुलिस को उलटे पांव भागना पड़ा! दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि तस्कर के वाहन की सुरक्षित निकासी के नाम पर कंजार्डा चौकी प्रभारी द्वारा 30 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से वसूली की जाती थी। मामले में सच्चाई कितनी है, यह जांच का विषय है। लेकिन ऐसे ही एक दूसरे मामले ने पुलिस और तस्करों की साठगांठ का पर्दाफाश कर दिया है। जिसमें सिंगोली निवासी शांतिलाल मेहर ने मंगलवार को जहर खा लिया। उसने राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में इलाज के दौरान दम तोड़ दिखा। खास बात यह कि शांतिलाल ने जहर खाने से पहले एक सुसाड नोट लिखा। सुसाइड नोट में शांतिलाल ने भीलवाड़ा पुलिस से डील करने के लिए 17.50 लाख रुपए खर्च करने की बात लिखी है। डील में महावीर दास नाम के व्यक्ति को बिचौलिया दर्शाया गया है। भीलवाड़ा सदर के सीआई के जरिए शांतिलाल एक जब्त कार छुड़ाना चाहता था। वह कार शांतिलाल के चचेरे भाई की थी। रुपये भी चाचा और उसके परिवार ने शांतिलाल को कार छुड़ाने के लिए दिया था। सुसाइड नोट में कई पुलिसकर्मियों को पैसा देने की बात भी लिखी गई है। कार जब नहीं छोड़ी गई तो शांतिलाल को चाचा का परिवार तंग करने लगा। इससे परेशान होकर उसने जहर खा लिया और उसकी मौत हो गई। यहां बताना जरूरी है कि शांतिलाल का चचेरा भाई बाबूलाल मेहर साल 2022 में डोडा-चूरा तस्करों का वाहन एस्कॉर्ट कर रहा था। भीलवाड़ा पुलिस ने तस्करों को पकड़ लिया था। बाबूलाल उसकी ऑल्टो कार मौके पर छोड़ भागा था। कार को भीलवाड़ा पुलिस ने जब्त कर लिया था। कार छुड़ाने के लिए शांतिलाल के चाचा हीरालाल के परिवार ने उसे 15.50 लाख रुपए पुलिस से डील करने के लिए दिए थे। शांतिलाल ने भीलवाड़ा सदर के सीआई तक रुपए पहुंचाने के लिए अन्य पुलिसकर्मियों को दे दिए। ये दोनों मामले अभी चर्चा में हैं, लेकिन पुलिस की साठगांठ के ये पहले मामले नहीं हैं, इसके पहले भी क्षेत्र में पुलिस और तस्करों की साठगांठ के अनेक किस्से सामने आ चुके हैं। कुल मिला कर बागड़ ही खेत को खा रही है। कानून की रक्षा का जिन हाथों में जिम्मा है, वे वर्दीधारी ही तस्करों की रक्षा और सुरक्षा अकूत धन हासिल करने की हवस में कर रहे हैं, ऐसे में कभी समतामूलक कानून-व्यवस्था स्थापित नहीं हो सकती है। वहीं इससे लोगों का पुलिस और कानून व्यवस्था पर से भरोसा कमजोर होता जा रहा है। इस लिए पुलिस और तस्करों की साठगांठ और तस्करों से तोड़ बट्टा करने वालों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। कानून की रक्षा करने वाले हाथ यदि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों से गठजोड़ कर रहे हैं तो निश्चित रुप से अपराध और आपराधिक गतिविधियों में इजाफा होगा। जो कतई समाज हित में नहीं है। तस्करों से मिलीभगत की बात सामने आने के बाद अब नीमच और चित्तोड़गढ़ दोनों जिलों के पुलिस अधीक्षक, दोनों क्षेत्रों के जन प्रतिनिधि और राज्य सरकारों का दायित्व बना है कि वर्दी को दागदार करने वाले ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। इसके साथ ही गंभीर अपराधों के मामले में पुलिस की साठगांठ पाए जाने पर कठोर कार्रवाई के लिए अतिरिक्त कानूनी प्रावधान करने की जरूरत भी ऐसे समय में महसूस हो रही है।