|
नीमच। निजी स्कूल मनमानी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं, लेकिन निजी स्कूलों की किताब, कॉपियां व यूनिफार्म पूर्व की तरह शहर की चुनिंदा दुकानों पर ही बेची जा रही है। जिस पर लगाम लगाने में जिम्मेदार अधिकारी नाकाम नजर आ रहे हैं। लेकिन स्वयं मैदान में जाने के बजाए शिकायत का इंतजार कर रहे हैं।रविवार को बाजार में अधिकांश दुकानें बंद थी, स्टेशनरी सहित अन्य कुछ दुकानें खुली थी। पड़ताल की तो पता चला कि शहर के प्रमुख निजी स्कूलों की किताबें व कॉपियां सांठगांठ कर कुछ चुनिदा दुकानों से बिकवाई जा रही हैं। अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे की किताबें शहर की सिर्फ एक दुकान पर मिल रही है। हमने वहां से किताबें ली, लेकिन उन्होंने बिल नहीं दिया। एक पर्यो पर हिसाब बनाकर प्रिंट रेट से 10 प्रतिशत डिस्काउंट दिया है। इधर, संचालक ने बताया कि उनके यहां तीन निजी स्कूलों की किताबें बेची जा रही है। शेष स्कूलों के रायटर का पता स्कूल संचालक नहीं बताते हैं। जिस कारण वह उन स्कूलों की किताबें नहीं मंगा पाते। इधर अभिभावकों का कहना है कि शासन की सख्ती के बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी जारी है। यदि सभी स्कूलों में किताबें एक जैसी कर दी जाएं, तो कमीशनखोरी का यह खेल ही खत्म हो जाएगा। अभिभावकों को कॉपी किताब खरीदने मजबूर नहीं किया जा सकेगा। अभी स्कूली द्वारा अभिभावकों को स्टेशनरी के नाम भी बताए जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें पूरा सेट चुनिंदा दुकानों से ही खरीदना पड़ रहा है।
कॉपी-किताबें हुई महंगी
निजी स्कूलों के प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूल की कॉपी-किताबों के सेट भी महंगे हो गए हैं। यूकेजी का सेंट 2460 रुपए, पहली के विद्यार्थी के लिए 2420 रुपए व पांचवीं के विद्यार्थियों के लिए 2378 रुपए का हो गया है और वहीं कक्षा 7वीं का सेट 2871 रुपए का आ रहा है। कॉपियों के दाम भी बढ़ा दिए है और अलग-अलग दुकानों में की जाएगी।भी अलग- अलग है। सामान्य स्टेशनरी की दुकानें जो स्कूल से अधिकृत नहीं है वहां पर कॉपियां व रजिस्टर प्रिंट रेट से 10 से 45 प्रतिशत डिस्काउंट मिल रहा है। किताबों के साथ खरीदने पर 10 प्रतिशत छूट ही दी जा रही है।
2 लाख रुपए तक हो सकता है जुर्माना
स्कूल शिक्षा विभाग ने भी निजी स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी की है अनुसार कोई निजी स्कूल विद्यार्थियों पर दुकान विशेष से शिक्षण सामग्री खरीदने का दबाव बनाता है तो स्कूल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा अधिकारी, संयुक्त शिक्षा अधिकारी, सहायक संभागीय संचालक को निर्देश भी जारी किए हैं। विद्यार्थी किसी भी दुकान से खरीदारी कर सकते हैं। इसी तरह निजी स्कूल मनमानी फीस भी नहीं बढ़ा सकते। अनावश्यक फीस बढ़ाने की शिकायत मिलने पर प्रशासन जांच कराएगा। जांच में यदि स्कूलों की मनमानी सामने आई तो मप्र निजी विद्यालय फीस अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस अधिनियम के तहत स्कूल संचालक पर 2 लाख रुपए तक का जुर्माना किया जा सक
|