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लंदन: ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से कोरोना की वैक्सीन लेने वाला हर इंसान हिल गया है। वैक्सीन निर्माता ने अदालत में माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। कोविड-19 महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से किया गया था। भारत में भी बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है।जब कोविड की वैक्सीन कोवीशील्ड UK में लॉन्च हुई तब ब्रिटेन के तब के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे ‘ब्रिटिश विज्ञान की जीत’ बताया था। भारत में भी सबसे पहले और सबसे ज्यादा इसी कोवीशील्ड की 175 करोड़ डोज अब तक लगाई जा चुकी हैं।इस वैक्सीन को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है। कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने UK के कोर्ट में दिए गए बयान में माना है कि इस वैक्सीन से शरीर के किसी हिस्से में खून जमाने वाला 'रेयर साइड इफेक्ट' हो सकता है।इस खबर के सामने आते ही दुनियाभर में कोवीशील्ड वैक्सीन की डोज लेने वालों के बीच इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वाकई इस वैक्सीन की वजह से उनके शरीर में भी खून का थक्का जम सकता है? सवाल 1: कोवीशील्ड से जुड़े किस मामले में UK के कोर्ट में सुनवाई हुई? सवाल 2: कोवीशील्ड वैक्सीन से होने वाली समस्या TTS और VITT क्या है? |
लंदन: ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से कोरोना की वैक्सीन लेने वाला हर इंसान हिल गया है। वैक्सीन निर्माता ने अदालत में माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। कोविड-19 महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से किया गया था। भारत में भी बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है।जब कोविड की वैक्सीन कोवीशील्ड UK में लॉन्च हुई तब ब्रिटेन के तब के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे ‘ब्रिटिश विज्ञान की जीत’ बताया था। भारत में भी सबसे पहले और सबसे ज्यादा इसी कोवीशील्ड की 175 करोड़ डोज अब तक लगाई जा चुकी हैं।इस वैक्सीन को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है। कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने UK के कोर्ट में दिए गए बयान में माना है कि इस वैक्सीन से शरीर के किसी हिस्से में खून जमाने वाला 'रेयर साइड इफेक्ट' हो सकता है।इस खबर के सामने आते ही दुनियाभर में कोवीशील्ड वैक्सीन की डोज लेने वालों के बीच इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वाकई इस वैक्सीन की वजह से उनके शरीर में भी खून का थक्का जम सकता है?
सवाल 1: कोवीशील्ड से जुड़े किस मामले में UK के कोर्ट में सुनवाई हुई?
जवाब: साल 2023 की बात है। कोवीशील्ड बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका के खिलाफ UK के रहने वाले जेमी स्कॉट की पत्नी ने पहला केस दर्ज करवाया था। उनका आरोप था कि 23 अप्रैल 2021 को जेमी को कोवीशील्ड की डोज दी गई। उसके बाद उन्हें वैक्सीन इंड्यूस्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया यानी VITT नाम की बीमारी हो गई। उनके दिमाग में ब्लीडिंग हुई, खून का थक्का जमा और ब्रेन स्थायी रूप से डैमेज हो गया। वैक्सीन लेने के बाद दो बच्चों के पिता जेमी दोबारा कभी काम पर नहीं लौट सके।तब एस्ट्राजेनेका कंपनी ने वैक्सीन के इस्तेमाल से VITT बीमारी होने के इस दावे को सख्ती से नकार दिया था। हालांकि, जेमी के वकीलों का कहना था कि ‘एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन डिफेक्टिव है और इसके प्रभाव को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।'जेमी की पत्नी केट कहती हैं, 'हेल्थ एक्सपर्ट्स ने काफी पहले ये मान लिया था कि VITT की बीमारी वैक्सीन के चलते होती है, लेकिन एस्ट्राजेनेका को ये मानने में तीन साल लग गए। हमें हमारे परिवार और दूसरे प्रभावित हुए परिवारों के लिए माफी और उचित मुआवजे की जरूरत है। सच हमारे साथ है और हम हार नहीं मानेंगे।'मार्च 2023 में एस्ट्राजेनेका ने जेमी के वकीलों को भेजे एक जवाबी पत्र में कहा, 'हम नहीं मानते हैं कि सामान्य तौर पर TTS किसी वैक्सीन के कारण होता है', लेकिन फरवरी 2024 में UK की एक अदालत में जमा किए दस्तावेजों में पहली बार एस्ट्राजेनेका ने कहा, 'कोवीशील्ड बहुत ही कम यानी रेयर केस में, TTS का कारण बन सकती है।'एस्ट्राजेनेका के इस बयान के बाद से ही कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा शुरू हो गई है।
सवाल 2: कोवीशील्ड वैक्सीन से होने वाली समस्या TTS और VITT क्या है?
जवाब: महामारी विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया के मुताबिक जब शरीर के किसी हिस्से में खून का थक्का जमता है तो उसे थ्रोम्बोसिस सिंड्रोम यानी TTS कहते हैं। कोरोना वैक्सीन से पहले भी ये समस्या सामने आती रही है। जब कोई वैक्सीन लगने की वजह से थ्रोम्बोसिस सिंड्रोम की समस्या हो जाए तो उसे वैक्सीन इंड्यूस्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया यानी VITT कहते हैं।कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड की वजह से कई लोगों में यह साइड इफेक्ट देखने को मिला है। हालांकि रेयर, यानी कम लोगों में ही इस तरह के साइड इफेक्ट दिखे हैं। इसकी वजह से अचानक से शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाती है, जो शरीर में खून को जमने से रोकता है। ऐसा होने पर मरीज को ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटैक हो सकता है। इसीलिए TTS इंसान के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |