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नीमच :- प्रचंड बहुमत से बनी प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री मंडल का सोमवार को विस्तार हो गया। डॉ. मोहन सरकार में नीमच जिले को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका। जबकि इस क्षेत्र से प्रदेश को दो-दो मुख्यमंत्री रहे हैं और भाजपा का अजेय गढ़ कहा जाता है। प्रदेश मंत्री मंडल में नीमच जिले को प्रतिनिधित्व की आस निर्वाचित विधायकों और उनके समर्थकों के मन में रह गई..! प्रदेश में भाजपा की एतिहासिक जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी हाईकमान ने उज्जैन से विधायक और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया। उनके साथ संसदीय क्षेत्र मंदसौर-नीमच की मल्हारगढ़ विधानसभा से विधायक और पूर्व वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने देवड़ा को मंत्री बना कर जातीय समीकरण साधने के साथ ही वरिष्ठता को तरजीह दी। तब उम्मीद की जा रही थी कि मंत्री मंडल का विस्तार होगा तो नीमच जिले को भी प्रतिनिधित्व जरूर मिलेगा, लेकिन जब सोमवार को मंत्री मंडल का विस्तार हुआ तो प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे नीमच जिले की आस अधूरी रह गई।
तब मंत्री बने थे ओमप्रकाश सखलेचा :- प्रदेश के गठन से आज तक नीमच जिले में दिग्विजय सिंह सरकार कार्यकाल को छोड़ दे तो यहां भाजपा को हमेंशा बढ़त हासिल हुई है। पिछले पांच चुनाव की बात करें तो यहां लगातार भाजपा का परचम लहरा रहा है। प्रदेश की सियासत में नीमच जिले का वर्षों से खासा दखल रहा है। यहां की जावद सीट से स्व. वीरेंद्र कुमार सखलेचा एवं मनासा सीट से स्व. सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के दिग्विजय शासनकाल में भी मनासा से नरेंद्र नाहटा उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री और जावद से स्व. घनश्याम पाटीदार सामान्य प्रशासन मंत्री रहे। वर्ष 2020 में प्रदेश की सियासत में उठापटक में मुख्य भूमिका निभाने के चलते भाजपा ने जावद से विधायक ओमप्रकाश सखलेचा को लघु सूक्ष्म उद्योग एवं प्रोद्योगिकी (एमएसएमई) मंत्री बनाया था। उल्लेखनीय है कि 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी थी, वह सरकार डेढ़ साल में गिर गई थी। तब से सखलेचा को सिंधिया खेमे के मंत्री हरदीप सिंह डंग को भाजपा में शामिल कराने का सूत्रधार माना जाता है।
23 लोकसभा क्षेत्रों को ही मिला प्रतिनिधित्व उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल 29 लोक सभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 23 क्षेत्रों को मंत्री मंडल में प्रतिनिधित्व मिला है। बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार, गुना , खंडवा और खरगोन लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है।
सखलेचा के नाम दर्ज है यह रिकॉर्ड प्रदेया की सियासत में जावद विधानसभा क्षेत्र हमेंशा चर्चा का केंद्र रहा है। वर्ष 1957 से अब तक हुए 15 चुनाव में पांच बार वीरेंद्र कुमार सखलेचा और पांच बार ओमप्रकाश सखलेचा जावद से विधायक निर्वाचित हुए हैं। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा के पुत्र हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पसंद होने के साथ ली लगातार पांचवीं बार जावद से विधायक निर्वाचित हुए हैं। इसके बावजूद सखलेचा को मंत्री मंडल में स्थान नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में मायूसी देखी गई है। परिहार ने भी बनाया रिकॉर्ड: वर्ष 1957 के बाद नीमच विधानसभा सीट भी भाजपा का गढ़ साबित हुई है। अब तक यहां सर्वाधिक पांच बार भाजपा के स्व. खुमानसिंह शिवाजी ने विधानसभा चुनाव जीता है। उनके बाद चार बार जीत का रिकॉर्ड वर्तमान विधायक दिलीप सिंह परिहार ने बनाया है। खास बात यह कि वर्ष 2003 में दिग्विजय सरकार की विरोधी लहर में दिलीप बापू ने रिकॉर्ड 25 हजार से अधिक मतों के अंतर से पहली बार जीत दर्ज की थी, जबकि वर्ष 2023 में एंटीइनंबैंसी की संभवनाओं के बीच ऐतिहासिक 26 हजार से अधिक मतों से दिलीप बापू चुनाव जीते। कयास लगाए जा रहे थे कि मंत्री मंडल में नये चेहरों को स्थान मिलेगा तो नीमच से परिहार मंत्री बनेंगे, लेकिन उन्हे भी मंत्री नहीं बनाया गया है। |
नीमच :- प्रचंड बहुमत से बनी प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री मंडल का सोमवार को विस्तार हो गया। डॉ. मोहन सरकार में नीमच जिले को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका। जबकि इस क्षेत्र से प्रदेश को दो-दो मुख्यमंत्री रहे हैं और भाजपा का अजेय गढ़ कहा जाता है। प्रदेश मंत्री मंडल में नीमच जिले को प्रतिनिधित्व की आस निर्वाचित विधायकों और उनके समर्थकों के मन में रह गई..!
प्रदेश में भाजपा की एतिहासिक जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी हाईकमान ने उज्जैन से विधायक और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया। उनके साथ संसदीय क्षेत्र मंदसौर-नीमच की मल्हारगढ़ विधानसभा से विधायक और पूर्व वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने देवड़ा को मंत्री बना कर जातीय समीकरण साधने के साथ ही वरिष्ठता को तरजीह दी। तब उम्मीद की जा रही थी कि मंत्री मंडल का विस्तार होगा तो नीमच जिले को भी प्रतिनिधित्व जरूर मिलेगा, लेकिन जब सोमवार को मंत्री मंडल का विस्तार हुआ तो प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे नीमच जिले की आस अधूरी रह गई।
तब मंत्री बने थे ओमप्रकाश सखलेचा :-
प्रदेश के गठन से आज तक नीमच जिले में दिग्विजय सिंह सरकार कार्यकाल को छोड़ दे तो यहां भाजपा को हमेंशा बढ़त हासिल हुई है। पिछले पांच चुनाव की बात करें तो यहां लगातार भाजपा का परचम लहरा रहा है। प्रदेश की सियासत में नीमच जिले का वर्षों से खासा दखल रहा है। यहां की जावद सीट से स्व. वीरेंद्र कुमार सखलेचा एवं मनासा सीट से स्व. सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के दिग्विजय शासनकाल में भी मनासा से नरेंद्र नाहटा उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री और जावद से स्व. घनश्याम पाटीदार सामान्य प्रशासन मंत्री रहे। वर्ष 2020 में प्रदेश की सियासत में उठापटक में मुख्य भूमिका निभाने के चलते भाजपा ने जावद से विधायक ओमप्रकाश सखलेचा को लघु सूक्ष्म उद्योग एवं प्रोद्योगिकी (एमएसएमई) मंत्री बनाया था। उल्लेखनीय है कि 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी थी, वह सरकार डेढ़ साल में गिर गई थी। तब से सखलेचा को सिंधिया खेमे के मंत्री हरदीप सिंह डंग को भाजपा में शामिल कराने का सूत्रधार माना जाता है।
23 लोकसभा क्षेत्रों को ही मिला प्रतिनिधित्व
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल 29 लोक सभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 23 क्षेत्रों को मंत्री मंडल में प्रतिनिधित्व मिला है। बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार, गुना , खंडवा और खरगोन लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है।
सखलेचा के नाम दर्ज है यह रिकॉर्ड
प्रदेया की सियासत में जावद विधानसभा क्षेत्र हमेंशा चर्चा का केंद्र रहा है। वर्ष 1957 से अब तक हुए 15 चुनाव में पांच बार वीरेंद्र कुमार सखलेचा और पांच बार ओमप्रकाश सखलेचा जावद से विधायक निर्वाचित हुए हैं। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा के पुत्र हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पसंद होने के साथ ली लगातार पांचवीं बार जावद से विधायक निर्वाचित हुए हैं। इसके बावजूद सखलेचा को मंत्री मंडल में स्थान नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में मायूसी देखी गई है।
परिहार ने भी बनाया रिकॉर्ड: वर्ष 1957 के बाद नीमच विधानसभा सीट भी भाजपा का गढ़ साबित हुई है। अब तक यहां सर्वाधिक पांच बार भाजपा के स्व. खुमानसिंह शिवाजी ने विधानसभा चुनाव जीता है। उनके बाद चार बार जीत का रिकॉर्ड वर्तमान विधायक दिलीप सिंह परिहार ने बनाया है। खास बात यह कि वर्ष 2003 में दिग्विजय सरकार की विरोधी लहर में दिलीप बापू ने रिकॉर्ड 25 हजार से अधिक मतों के अंतर से पहली बार जीत दर्ज की थी, जबकि वर्ष 2023 में एंटीइनंबैंसी की संभवनाओं के बीच ऐतिहासिक 26 हजार से अधिक मतों से दिलीप बापू चुनाव जीते। कयास लगाए जा रहे थे कि मंत्री मंडल में नये चेहरों को स्थान मिलेगा तो नीमच से परिहार मंत्री बनेंगे, लेकिन उन्हे भी मंत्री नहीं बनाया गया है।