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नीमच, निप्र। आधुनिक युग में जहां आज लोग मानसून की जानकारी यंत्रों से लेते हैं, वहीं नीमच जिले के किसान आज भी लोग पुरानी मान्यताओं से मानसून का अनुमान लगाते हैं। ग्रामीणों की मानें तो उनका यह अनुमान सटीक भी निकलता है। इस बार टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं, जिससे चार माह बारिश होने और अंडे अधिकांश नीचले भूभाग यानी खेतों में दिए हैं, जिससे बहुत तेज बारिश नहीं होकर मध्यम होगी। आज के दौर में यह बात सुनने में अटपटी लगेगी, लेकिन जब मानसून सटीक आकलन करने की तकनीक नहीं थी तब लोग इसी टिटहरी के अंडों को लेकर मानसून का अनुमान लगाते थे और आज भी टिटहरी इसे मानते है। किसान टिटहरी पक्षी के अंडे देने के स्थान और अंडों की संख्या से बरसात का अनुमान लगाते हैं, सालों से चली आ रही इस परंपरा में पुरी शिद्दत के साथ विश्वास किया जाता है। चाहे विज्ञान इसको नहीं मानता हो, लेकिन ग्रामीण और किसान इसको पूरी तरह से मानते हैं। अक्सर टिटहरी पक्षी जमीन पर ही अंडे देती है। ये अंडे किसी ऊंचाई के स्थान पर किसानों को मिल जाए तो बरसात बहुत अच्छी होगी। किसी निचले हिस्से में टिटहरी के अंडे मिल जाए तो किसानों को अनुमान होता है कि इस बार बरसात मध्यम होगी,यानी बाढ़ की समस्या नहीं रहेगी। यह परम्पराएं सालों से चली आ रही है।
मान्यता और मौसम विभाग बता दें कि नीमच जिले के किसान टिटहरी पक्षी के अंडों से मानसून का पता लगाते हैं। मान्यता है कि टिटहरी जितने अंडे देती है उतने माह बारिश होती है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भी इस वर्ष जून से सितंबर तक मानसून रहने का अनुमान है, जिससे इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। जून से सितंबर तक मानसून सक्रिय रहेगा।
सटीक निकलती है बात किसान कैलाश राठौर, तुलसीराम मालवीय का कहना है कि बचपन में उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना था कि टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने माह बारिश होती है। उन्होने कहा कि इस साल मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है। उनका भी 60 साल का अनुभव है और यह बात सटीक निकलती है। टिटहरी ने चार अंडे दिए है और उसके अनुसार इस साल चार माह वर्षा होगी।
खडे हैं तो तेज और बैठी स्थित में हो तो धीमी बरसात किसान जगदीशचंद्र सुतार ने बताया कि यह वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन किसान को विश्वास है। आज तो मौसम विज्ञान बहुत कुछ बता देता है, लेकिन किसी जमाने में मौसम का अंदाजा लगाने के लिए पशु पक्षियों के आचरण को आधार माना जाता था। किसान आज भी टिटहरी के अंडों से बहुत कुछ अनुमान लगाते हैं। कितने महीने बारिश होने वाली है इसका अंदाजा अंडों की संख्या से लगाया जाता है। टिटहरी ने अगर 4 अंडे दिए तो 4 महीने और 3 अंडे दिए तो इसे 3 महीने बारिश का अंदाजा लगाया जाता है। वहीं अंडों की स्थिति से तेज या कम बारिश का अनुमान लगाया जाता है। जितने अंडे खड़े हैं उतने महीने तेज बारिश और जितने अंडे बैठे हैं, उतने महीने कमजोर बारिश मानी जाती है।
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नीमच, निप्र। आधुनिक युग में जहां आज लोग मानसून की जानकारी यंत्रों से लेते हैं, वहीं नीमच जिले के किसान आज भी लोग पुरानी मान्यताओं से मानसून का अनुमान लगाते हैं। ग्रामीणों की मानें तो उनका यह अनुमान सटीक भी निकलता है। इस बार टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं, जिससे चार माह बारिश होने और अंडे अधिकांश नीचले भूभाग यानी खेतों में दिए हैं, जिससे बहुत तेज बारिश नहीं होकर मध्यम होगी।
आज के दौर में यह बात सुनने में अटपटी लगेगी, लेकिन जब मानसून सटीक आकलन करने की तकनीक नहीं थी तब लोग इसी टिटहरी के अंडों को लेकर मानसून का अनुमान लगाते थे और आज भी टिटहरी इसे मानते है। किसान टिटहरी पक्षी के अंडे देने के स्थान और अंडों की संख्या से बरसात का अनुमान लगाते हैं, सालों से चली आ रही इस परंपरा में पुरी शिद्दत के साथ विश्वास किया जाता है। चाहे विज्ञान इसको नहीं मानता हो, लेकिन ग्रामीण और किसान इसको पूरी तरह से मानते हैं। अक्सर टिटहरी पक्षी जमीन पर ही अंडे देती है। ये अंडे किसी ऊंचाई के स्थान पर किसानों को मिल जाए तो बरसात बहुत अच्छी होगी। किसी निचले हिस्से में टिटहरी के अंडे मिल जाए तो किसानों को अनुमान होता है कि इस बार बरसात मध्यम होगी,यानी बाढ़ की समस्या नहीं रहेगी। यह परम्पराएं सालों से चली आ रही है।
मान्यता और मौसम विभाग
बता दें कि नीमच जिले के किसान टिटहरी पक्षी के अंडों से मानसून का पता लगाते हैं। मान्यता है कि टिटहरी जितने अंडे देती है उतने माह बारिश होती है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भी इस वर्ष जून से सितंबर तक मानसून रहने का अनुमान है, जिससे इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। जून से सितंबर तक मानसून सक्रिय रहेगा।
सटीक निकलती है बात
किसान कैलाश राठौर, तुलसीराम मालवीय का कहना है कि बचपन में उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना था कि टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने माह बारिश होती है। उन्होने कहा कि इस साल मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है। उनका भी 60 साल का अनुभव है और यह बात सटीक निकलती है। टिटहरी ने चार अंडे दिए है और उसके अनुसार इस साल चार माह वर्षा होगी।
खडे हैं तो तेज और बैठी स्थित में हो तो धीमी बरसात
किसान जगदीशचंद्र सुतार ने बताया कि यह वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन किसान को विश्वास है। आज तो मौसम विज्ञान बहुत कुछ बता देता है, लेकिन किसी जमाने में मौसम का अंदाजा लगाने के लिए पशु पक्षियों के आचरण को आधार माना जाता था। किसान आज भी टिटहरी के अंडों से बहुत कुछ अनुमान लगाते हैं। कितने महीने बारिश होने वाली है इसका अंदाजा अंडों की संख्या से लगाया जाता है। टिटहरी ने अगर 4 अंडे दिए तो 4 महीने और 3 अंडे दिए तो इसे 3 महीने बारिश का अंदाजा लगाया जाता है। वहीं अंडों की स्थिति से तेज या कम बारिश का अनुमान लगाया जाता है। जितने अंडे खड़े हैं उतने महीने तेज बारिश और जितने अंडे बैठे हैं, उतने महीने कमजोर बारिश मानी जाती है।