|
नीमच, निप्र। देश में आम चुनाव हो रहे हैं। आगामी 13 मई को मतदान होना है। इस बीच जनता महंगाई से परेशान है। रोजगार के अवसर और बढ़ती महंगाई के बीच असमानता ने लोगों का जीवन दुर्भर कर दिया है। खेती पर निर्भर नीमच जिले के करीब डेढ़ लाख परिवार इस समय रोटी कपड़ा और मकान के लिए जद्दोजहद कर रहे है। जनता के आक्रोश का लावा खदबदा रहा है, जिसेक असर मतदान पर पड़ सकता है। देखा जा रहा है कि नीमच जिले में इन दिनों आर्थिक तंगी के कारण परिवारों में कलह बढ़ रहे हैं, वहीं सरकार के खिलाफ आक्रोश भी पनप रहा है। अनुमान है कि महंगाई से परेशान लगभग साढ़े तीन लाख मतदाता इस बार चुनाव परिणाम प्रभावित करने का कारण बन सकते हैं। नागरिकों का कहना है कि चुनावी दौर में कांग्रेस विकास की बात तो कर रही है, लेकिन विजन नहीं है। वही नेता केवल सत्ताधारी दल पर आरोप लगा कर चुनाव जीतना चाहती है। दूसरी ओर सत्ताधारी दल केवल राम मंदिर के सहारे चुनाव जीतना चाहती है। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, ऐसे में जनता की अपेक्षाएं और समस्याएं सुनने की ओर किसी का ध्यान नहीं है। इस कारण लोग लोकसभा चुनाव को लेकर उत्साहित नहीं हैं।
महंगाई : चिढ़ा रही सरकारी मदद सुरेश शर्मा, गौतम राठौर ने बताया कि बीत दो-तीन वर्षों में जरूरी चीजों की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। महंगाई इस समय उच्चतम स्तर पर है, जबकि बेरोजगारी की दर भी बढ़ी हुई है। इस कारण जिले के करीब 1 लाख 50 हजार परिवार यानी 6, लाख लोग रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही फ्री राशन और अन्य योजनाएं तुलनात्मक महंगाई के सामने मुंह चिढ़ा रही है। मुनाफाखोर मस्त, मेहनतकश परेशान
बापू लाल गुर्जर, मुकेश जाट, सुरेश पाटीदार ने बताया कि सरकार ने युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। देश में केवल हिंदू मुस्लिम और अन्य मुद्दों के जरिये माहौल बनाया जाता है। महंगाई को कंट्रोल नहीं किया गया गया है। इस कारण जनता बाजार के हवाले हो गई है। मुनाफाखोर मस्त हैं और मेहनतकश वर्ग परेशान हो रहा है।
खेती पर निर्भर परिवार परेशान किसान बद्रीलाल प्रजापति, योगेश भाटी, कैलाश नागदा ने बताया कि सरकार गरीब, बहनों, बेटियों और किसानों के लिए खजाना खोलने का दावा कर रही है। जबकि जनता को फ्री की याजनाओं की बजाए उपलब्ध रोजगार के अवसर और महंगाई के बीच असमानता की दूर करने की जरूरत महसूस हो रही है। लहसुन को छोड़ कर शेष कृषि जिंसों में किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। खेती की लागत लगातार बढ़ रही है। खेती पर निर्भर परिवारों के समक्ष तंगहाली की स्थिति है।
इन परिवारों पर बढ़ा संकट अशोक चतुर्वेदी ने बताया कि भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन यहां आय असमानता देखी जा रही है। लोगों की मूलभूत आवश्यकता को लेकर ज्यादातर भारतीय संघर्ष कर रहे हैं। हाल के समय में ज्यादातर चीजों के दाम में इजाफा देखा जा रहा है। इस कारण कम आय वाले परिवारों को आवश्यक समानों को खरीदने में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
|
नीमच, निप्र। देश में आम चुनाव हो रहे हैं। आगामी 13 मई को मतदान होना है। इस बीच जनता महंगाई से परेशान है। रोजगार के अवसर और बढ़ती महंगाई के बीच असमानता ने लोगों का जीवन दुर्भर कर दिया है। खेती पर निर्भर नीमच जिले के करीब डेढ़ लाख परिवार इस समय रोटी कपड़ा और मकान के लिए जद्दोजहद कर रहे है। जनता के आक्रोश का लावा खदबदा रहा है, जिसेक असर मतदान पर पड़ सकता है।
देखा जा रहा है कि नीमच जिले में इन दिनों आर्थिक तंगी के कारण परिवारों में कलह बढ़ रहे हैं, वहीं सरकार के खिलाफ आक्रोश भी पनप रहा है। अनुमान है कि महंगाई से परेशान लगभग साढ़े तीन लाख मतदाता इस बार चुनाव परिणाम प्रभावित करने का कारण बन सकते हैं। नागरिकों का कहना है कि चुनावी दौर में कांग्रेस विकास की बात तो कर रही है, लेकिन विजन नहीं है। वही नेता केवल सत्ताधारी दल पर आरोप लगा कर चुनाव जीतना चाहती है। दूसरी ओर सत्ताधारी दल केवल राम मंदिर के सहारे चुनाव जीतना चाहती है। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, ऐसे में जनता की अपेक्षाएं और समस्याएं सुनने की ओर किसी का ध्यान नहीं है। इस कारण लोग लोकसभा चुनाव को लेकर उत्साहित नहीं हैं।
महंगाई : चिढ़ा रही सरकारी मदद
सुरेश शर्मा, गौतम राठौर ने बताया कि बीत दो-तीन वर्षों में जरूरी चीजों की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। महंगाई इस समय उच्चतम स्तर पर है, जबकि बेरोजगारी की दर भी बढ़ी हुई है। इस कारण जिले के करीब 1 लाख 50 हजार परिवार यानी 6, लाख लोग रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही फ्री राशन और अन्य योजनाएं तुलनात्मक महंगाई के सामने मुंह चिढ़ा रही है।
मुनाफाखोर मस्त, मेहनतकश परेशान
बापू लाल गुर्जर, मुकेश जाट, सुरेश पाटीदार ने बताया कि सरकार ने युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। देश में केवल हिंदू मुस्लिम और अन्य मुद्दों के जरिये माहौल बनाया जाता है। महंगाई को कंट्रोल नहीं किया गया गया है। इस कारण जनता बाजार के हवाले हो गई है। मुनाफाखोर मस्त हैं और मेहनतकश वर्ग परेशान हो रहा है।
खेती पर निर्भर परिवार परेशान
किसान बद्रीलाल प्रजापति, योगेश भाटी, कैलाश नागदा ने बताया कि सरकार गरीब, बहनों, बेटियों और किसानों के लिए खजाना खोलने का दावा कर रही है। जबकि जनता को फ्री की याजनाओं की बजाए उपलब्ध रोजगार के अवसर और महंगाई के बीच असमानता की दूर करने की जरूरत महसूस हो रही है। लहसुन को छोड़ कर शेष कृषि जिंसों में किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। खेती की लागत लगातार बढ़ रही है। खेती पर निर्भर परिवारों के समक्ष तंगहाली की स्थिति है।
इन परिवारों पर बढ़ा संकट
अशोक चतुर्वेदी ने बताया कि भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन यहां आय असमानता देखी जा रही है। लोगों की मूलभूत आवश्यकता को लेकर ज्यादातर भारतीय संघर्ष कर रहे हैं। हाल के समय में ज्यादातर चीजों के दाम में इजाफा देखा जा रहा है। इस कारण कम आय वाले परिवारों को आवश्यक समानों को खरीदने में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।