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नपा ने गुमटियां विस्थापित कर बनाया था पार्किंग जोन, टेंडर नहीं हुए और पसर गया अतिक्रमण नीमच। नगर पालिका ने शहर के टैगोर मार्ग पर लगी गुमटियों को लाखों रुपये खर्च कर िवस्थापित किया, ताकि शहर सुंदर और आदर्श बन सके। गुमटियां हटाने के बाद वहां पार्किंग जोन बनाया गया, लेकिन टेंडर नहीं हुए। नतीजा यह कि स्थानीय नेताओं के संरक्षण में पार्किंग स्थल पर िफर से अतिक्रमण कर बाजार सजा लिया गया है। इसी तरह अवैध रूप से गुमटियां लगा कर किराए पर देने का चलन भी शहर में जोरों पर है। उनकी कमाई का ये भुगत रहे खािमयाजा हालत यह है िक पार्किंग जोन पर अब अतिक्रमण का बाजार पसर गया है। जिसके पीछे तर्क यह है िक बेरोजगार और कमजोर वर्ग के लोगों को रोजगार िमल रहा है। इनकी कमाई का खामियाजा शहर में सड़कों पर वाहन पार्क करने वालों को भुगतना पड़ रहा है, कारण कि पार्किंग जोन में दुकानें सजी है तो खरीदारी करने आने वाले लोगों को वाहन सड़क पर खड़े करना पड़ते हैं। इस बीच यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए अभियान चला रही पुिलस सड़क पर खड़े वाहनों को टोचन कर ले जाती है, जो बाद में जुर्माना भुगतने पर ही िमल पाते हैं। रसूख की गुमटियां, ये भुगतते हैं किराया बता दें कि शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे व मुख्य चौराहों से सटा कर रसूखदारों एवं पूर्व पार्षदाें ने गुमटियां लगा रखी है। सियासत के दम पर लगाई गई इन गुमटियों पर गुमटियां लगाने वालों का कोई कब्जा नहीं है, वे तो हर माह बस इन गुमटियों में दुकान लगाने वालों से 2500 रुपये से 5000 रुपये तक का किराया लेने पहुंच जाते हैं। नौकरशाहों और नेताओं का अलिखित गौरखधंधा शहर की सुंदरता को दागदार बनाने वाली गुमटियां लगाने के मामले में नौकरशाहों और नेताओं के बीच अलिखित समझाैता किया हुअा है! िजसे मिलीभगत भी कह सकते हैं! इस कारण नौकरशाह रसूखदारों की गुमटियां नहीं हटाते हैं। इन गुमटियों से नेताओं की किराए के रूप में कमाई हो जाती है! और नौकरशाह फ्री हैंड हो जाते है! ताकि वे नपा में मनमानी कर सकें। गरीब की गुमटी बनती है निशाना नगर पालिका परिषद द्वारा शहर में यदा कदा अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई जाती है, उसमें भी देखा गया है कि रसूखदारों की गुमटियों को यथावत रखा जाता है और गरीब अथवा कमजोर वर्ग के लोगों की गुमटियों को हटा दिया जाता है। मजबूरन कमजोर वर्ग को िफर से रसूखदारों की गुमटियों को किराए पर लेना पड़ता है। टेंडर निकालना चाहिये हम ने शहर में बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए लाखों रुपए खर्च कर पार्किंग जोन बनाया गया था। इसके बाद सीएमओ को समय पर टेंडर निकालना चाहिए। ताकि शहरवासियों को दिक्कत न हो और बेहतर यातायात व्यवस्था बने। -राकेश जैन, पूर्व नपाध्यक्ष नीमच। मिलीभगत से लग रही गुमटियां शहर की सड़कों पर कतिपय पूर्व पार्षदों एवं राजनीतिक रसूख के दम पर गुमटियां लगाई जा रही है। जो किराए पर देते हैं और कमजोर वर्ग के लोगों से अवैध रुप से कमाई करते हैं। शहर में कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। मेरे द्वारा इस मामले की शिकायत कलेक्टर मयंक अग्रवाल से भी की गई है।– मोनु लोक्स, पूर्व पार्षद एवं कांग्रेस नेता। |
नपा ने गुमटियां विस्थापित कर बनाया था पार्किंग जोन, टेंडर नहीं हुए और पसर गया अतिक्रमण
नीमच। नगर पालिका ने शहर के टैगोर मार्ग पर लगी गुमटियों को लाखों रुपये खर्च कर िवस्थापित किया, ताकि शहर सुंदर और आदर्श बन सके। गुमटियां हटाने के बाद वहां पार्किंग जोन बनाया गया, लेकिन टेंडर नहीं हुए। नतीजा यह कि स्थानीय नेताओं के संरक्षण में पार्किंग स्थल पर िफर से अतिक्रमण कर बाजार सजा लिया गया है। इसी तरह अवैध रूप से गुमटियां लगा कर किराए पर देने का चलन भी शहर में जोरों पर है।
उनकी कमाई का ये भुगत रहे खािमयाजा
हालत यह है िक पार्किंग जोन पर अब अतिक्रमण का बाजार पसर गया है। जिसके पीछे तर्क यह है िक बेरोजगार और कमजोर वर्ग के लोगों को रोजगार िमल रहा है। इनकी कमाई का खामियाजा शहर में सड़कों पर वाहन पार्क करने वालों को भुगतना पड़ रहा है, कारण कि पार्किंग जोन में दुकानें सजी है तो खरीदारी करने आने वाले लोगों को वाहन सड़क पर खड़े करना पड़ते हैं। इस बीच यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए अभियान चला रही पुिलस सड़क पर खड़े वाहनों को टोचन कर ले जाती है, जो बाद में जुर्माना भुगतने पर ही िमल पाते हैं।
रसूख की गुमटियां, ये भुगतते हैं किराया
बता दें कि शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे व मुख्य चौराहों से सटा कर रसूखदारों एवं पूर्व पार्षदाें ने गुमटियां लगा रखी है। सियासत के दम पर लगाई गई इन गुमटियों पर गुमटियां लगाने वालों का कोई कब्जा नहीं है, वे तो हर माह बस इन गुमटियों में दुकान लगाने वालों से 2500 रुपये से 5000 रुपये तक का किराया लेने पहुंच जाते हैं।
नौकरशाहों और नेताओं का अलिखित गौरखधंधा
शहर की सुंदरता को दागदार बनाने वाली गुमटियां लगाने के मामले में नौकरशाहों और नेताओं के बीच अलिखित समझाैता किया हुअा है! िजसे मिलीभगत भी कह सकते हैं! इस कारण नौकरशाह रसूखदारों की गुमटियां नहीं हटाते हैं। इन गुमटियों से नेताओं की किराए के रूप में कमाई हो जाती है! और नौकरशाह फ्री हैंड हो जाते है! ताकि वे नपा में मनमानी कर सकें।
गरीब की गुमटी बनती है निशाना
नगर पालिका परिषद द्वारा शहर में यदा कदा अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई जाती है, उसमें भी देखा गया है कि रसूखदारों की गुमटियों को यथावत रखा जाता है और गरीब अथवा कमजोर वर्ग के लोगों की गुमटियों को हटा दिया जाता है। मजबूरन कमजोर वर्ग को िफर से रसूखदारों की गुमटियों को किराए पर लेना पड़ता है।
टेंडर निकालना चाहिये
हम ने शहर में बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए लाखों रुपए खर्च कर पार्किंग जोन बनाया गया था। इसके बाद सीएमओ को समय पर टेंडर निकालना चाहिए। ताकि शहरवासियों को दिक्कत न हो और बेहतर यातायात व्यवस्था बने। -राकेश जैन, पूर्व नपाध्यक्ष नीमच।
मिलीभगत से लग रही गुमटियां
शहर की सड़कों पर कतिपय पूर्व पार्षदों एवं राजनीतिक रसूख के दम पर गुमटियां लगाई जा रही है। जो किराए पर देते हैं और कमजोर वर्ग के लोगों से अवैध रुप से कमाई करते हैं। शहर में कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। मेरे द्वारा इस मामले की शिकायत कलेक्टर मयंक अग्रवाल से भी की गई है।– मोनु लोक्स, पूर्व पार्षद एवं कांग्रेस नेता।