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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने सोमवार शाम को उन्होंने केशव भवन(आरएसएस का राज्य मुख्यालय) में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और केंद्रीय मंत्री डॉ सुभाष सरकार के साथ बैठक की. कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) इस समय पश्चिम बंगाल के 19 दिनों के दौरे पर हैं. सोमवार शाम को उन्होंने केशव भवन(आरएसएस का राज्य मुख्यालय) में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और केंद्रीय मंत्री डॉ सुभाष सरकार के साथ बैठक की. लेकिन बैठक में पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार नजर नहीं आएस बैठक से भाजपा की बंगाल इकाई के भीतर अटकलों का दौर शुरू हो गया है. अब इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा राज्य के भीतर बढ़ रहे आंतरिक-पार्टी विद्रोह को खतम करने के लिए एक और फेरबदल के दौर से गुजरेगी. सूत्रों की मानें तो घोष और सरकार दोनों ही आरएसएस के बेहद करीबी हैं. घोष ने लंबे समय तक आरएसएस के प्रचारक के रूप में काम किया है.वहीं सुभाष सरकार भी आरएसएस के भी बेहद करीबी रहे हैं. अब मुख्य अटकलें इस बात पर हैं कि इन दोनों नेताओं ने उस करीबी बैठक के दौरान आरएसएस प्रमुख को क्या रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों ने कहा कि जब से दिलीप घोष की जगह सुकांत मजूमदार को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तब से आंतरिक विद्रोह चल रहा था. नए प्रदेश अध्यक्ष के राज्य समिति में फेरबदल के तुरंत बाद आंतरिक विद्रोह और तेज हुआ और यह सार्वजनिक हो गया. हालांकि आरएसएस नेतृत्व ने इसपर संज्ञान लेते हुए मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.अब सवाल यह है कि क्या आरएसएस प्रमुख ने सरकार पर घोष से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों इस बढ़ते विद्रोह के थमने के कोई आसार नहीं आ रहे हैं. वहीं सवाल यह भी है कि क्या भागवत खुद पार्टी के अंदरूनी कलह की इस सार्वजनिक अभिव्यक्ति से परेशान हैं. इसपर घोष ने ईटीवी भारत से कहा कि वह आरएसएस प्रमुख से मिलने गए और उनके पैर छुए. जब भी वह कोलकाता आते हैं तो मैं उनसे मिलता हूं. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के बारे में अटकल लगाने की कोई बात नहीं है.दूसरी ओर भाजपा का बागी गुट अमिताभ चक्रवर्ती को प्रदेश महासचिव (संगठन) के पद से हटाने की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है. यहां तक कि विद्रोही नेताओं के एक वर्ग ने भी इस मांग को लेकर आरएसएस नेतृत्व से संपर्क किया है. हालांकि संघ ने इसे हल्के में नहीं लिया है. अब देखना होगा कि मोहन भागवत भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई को लेकर क्या कदम उठाते हैं. सूत्रों का कहना है कि राज्य में पार्टी के संगठनात्मक नेटवर्क को पुनर्गठित करने का प्रभार दो और केंद्रीय मंत्रियों को दिया जा सकता है. |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने सोमवार शाम को उन्होंने केशव भवन(आरएसएस का राज्य मुख्यालय) में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और केंद्रीय मंत्री डॉ सुभाष सरकार के साथ बैठक की.
कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) इस समय पश्चिम बंगाल के 19 दिनों के दौरे पर हैं. सोमवार शाम को उन्होंने केशव भवन(आरएसएस का राज्य मुख्यालय) में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और केंद्रीय मंत्री डॉ सुभाष सरकार के साथ बैठक की. लेकिन बैठक में पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार नजर नहीं आएस बैठक से भाजपा की बंगाल इकाई के भीतर अटकलों का दौर शुरू हो गया है. अब इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा राज्य के भीतर बढ़ रहे आंतरिक-पार्टी विद्रोह को खतम करने के लिए एक और फेरबदल के दौर से गुजरेगी. सूत्रों की मानें तो घोष और सरकार दोनों ही आरएसएस के बेहद करीबी हैं. घोष ने लंबे समय तक आरएसएस के प्रचारक के रूप में काम किया है.वहीं सुभाष सरकार भी आरएसएस के भी बेहद करीबी रहे हैं. अब मुख्य अटकलें इस बात पर हैं कि इन दोनों नेताओं ने उस करीबी बैठक के दौरान आरएसएस प्रमुख को क्या रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों ने कहा कि जब से दिलीप घोष की जगह सुकांत मजूमदार को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तब से आंतरिक विद्रोह चल रहा था. नए प्रदेश अध्यक्ष के राज्य समिति में फेरबदल के तुरंत बाद आंतरिक विद्रोह और तेज हुआ और यह सार्वजनिक हो गया. हालांकि आरएसएस नेतृत्व ने इसपर संज्ञान लेते हुए मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.अब सवाल यह है कि क्या आरएसएस प्रमुख ने सरकार पर घोष से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों इस बढ़ते विद्रोह के थमने के कोई आसार नहीं आ रहे हैं. वहीं सवाल यह भी है कि क्या भागवत खुद पार्टी के अंदरूनी कलह की इस सार्वजनिक अभिव्यक्ति से परेशान हैं. इसपर घोष ने ईटीवी भारत से कहा कि वह आरएसएस प्रमुख से मिलने गए और उनके पैर छुए. जब भी वह कोलकाता आते हैं तो मैं उनसे मिलता हूं. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के बारे में अटकल लगाने की कोई बात नहीं है.दूसरी ओर भाजपा का बागी गुट अमिताभ चक्रवर्ती को प्रदेश महासचिव (संगठन) के पद से हटाने की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है. यहां तक कि विद्रोही नेताओं के एक वर्ग ने भी इस मांग को लेकर आरएसएस नेतृत्व से संपर्क किया है. हालांकि संघ ने इसे हल्के में नहीं लिया है. अब देखना होगा कि मोहन भागवत भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई को लेकर क्या कदम उठाते हैं. सूत्रों का कहना है कि राज्य में पार्टी के संगठनात्मक नेटवर्क को पुनर्गठित करने का प्रभार दो और केंद्रीय मंत्रियों को दिया जा सकता है.